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PM मोदी बोले भोजपुरी-मैथिली में कोर्ट सुनाए अपना फैसला, स्थानीय भाषा को दिया जाय महत्व

प्रधानमंत्री ने कहा, जनता इससे अधिक जुड़ाव महसूस करेगी, स्थानीय भाषा में हों कोर्ट के फैसले:मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अदालतों में स्थानीय भाषाओं के इस्तेमाल पर जोर दिया है। उन्होंने कहा, अंग्रेजी में न्यायिक प्रक्रिया और फैसले समझना मुश्किल होता है। स्थानीय भाषाओं के प्रयोग से न्याय प्रणाली में आम नागरिकों का विश्वास बढ़ेगा और वे इससे अधिक जुड़ाव महसूस करेंगे। यह एक तरह का समाजिक न्याय होगा।

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मोदी ने शनिवार को छह साल के अंतराल पर हुए मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि एक समूह दो प्रारूपों में कानून बनाने पर विचार कर रहा है। एक विशिष्ट कानूनी भाषा में और दूसरा साधारण भाषा में, जिसे आम लोग समझ सकते हैं। यह विभिन्न देशों में प्रचलन में है। इन्हें कानूनी रूप से स्वीकार्य माना जाता है।

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इससे पहले, मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने भी कहा था कि अदालतों में स्थानीय भाषाओं का इस्तेमाल करने के लिए कानूनी व्यवस्था की आवश्यकता है। जस्टिस रमना की टिप्पणी का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि समाचार पत्रों को सकारात्मक शीर्षक मिल गया है।

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विचाराधीन कैदियों के मामलों को प्राथमिकता दें : मोदी ने मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से अपील की कि वे जेलों में बंद 3.5 लाख गरीब विचाराधीन कैदियों से संबंधित मामलों को प्राथमिकता दें। उन्हें मानवीय संवेदनाओं के आधार पर कानून के अनुसार रिहा करें या जमानत दें।

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त्वरित व आसान न्याय: प्रधानमंत्री ने कहा, जब भारत स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है, तो ऐसी न्यायिक प्रणाली के निर्माण पर ध्यान केंद्रित होना चाहिए, जहां न्याय आसान, त्वरित और सभी के लिए हो। उन्होंने कहा, हमारे देश में जहां न्यायपालिका की भूमिका संविधान के संरक्षक की है, वहीं विधायिका नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती है। इन दोनों का संगम प्रभावी व समयबद्ध न्यायिक प्रणाली के लिए रोडमैप तैयार करेगा।

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मध्यस्थता पर जोर:मोदी ने कहा कि मध्यस्थता पर सरकार एक अंब्रेला कानून बना रही है, जिससे हर क्षेत्र में मध्यस्थता होने पर आसानी होगी।

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प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों से न्याय प्रदान करने को आसान बनाने के लिए पुराने कानूनों को निरस्त करने की अपील की। उन्होंने कहा, 2015 में हमने अप्रासंगिक हो चुके 1,450 कानूनों को समाप्त कर दिया गया। लेकिन, राज्यों ने केवल 75 ऐसे कानूनों को ही समाप्त किया है।

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सरकारें 50 लंबित केस के लिए जिम्मेदार:जस्टिस रमना
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने सरकारों को सबसे बड़ा वादी करार दिया। उन्होंने कहा, 50 लंबित मामलों के लिए सरकारें ही जिम्मेदार हैं। कार्यपालिका, विधायिका की विभिन्न शाखाओं के पूरी क्षमता के साथ काम नहीं करने से लंबित मामलों का अंबार लगा है।

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