देशभर में हर परिवार जो अपने बच्चे को कहीं स्कूल कॉलेजों में पढ़ा रहे हैं उनकी इच्छा होती है कि वह भी अपने बच्चे को डॉक्टर-इंजीनियर-वकील-सीए इत्यादि बनाएं तो वही देश के चार प्रमुख शहर मे स्कूल चलाने वाले की बेटी सेतिका सिंह ने अपने कैरियर के रूप में समाज सेवा को चुना जिन्होंने अपने पढ़ाई लंदन के स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स एंड पॉलीटिकल साइंस से सामाजिक नीति और विकास में ग्रेजुएशन की है और जिन्होंने महज 24 वर्ष की उम्र में परिवर्तन लाने की ठानी जिसकी शुरुआत अपने सिवान के जीरादेई ब्लॉक के पैतृक गांव नरेंद्रपुर से की।
इनके पिता संजीव कुमार तक्षशिला एजुकेशन सोसाइटी के अंतर्गत डीपीएस स्कूल और परिवर्तन नाम से एनजीओ भी चलाते हैं जिसमें इनकी बेटी ने मुख्य तौर पर एनजीओ का जिम्मा लिया इसके पहले चरण में उन्होंने 5 किलोमीटर के दायरे में आने वाले लगभग 21 गांवों को चुना जिसका मकसद यह था कि वहां पर वह सब कुछ मिलनी चाहिए जिसके लिए कोई भी एक व्यक्ति गांव से शहर जाता है जैसे सबसे पहले खाने कमाने का साधन।
इस दौरान लगभग 6 हजार से अधिक लोगों की लिस्ट मिली है जो किसी न किसी तरह अपना अभिनय आदि के जरिए गांव में ही अपनी रोजी-रोटी सम्मान के साथ हासिल कर सकते हैं इन्होंने अपनी पढ़ाई के दौरान ही शिक्षा के क्षेत्र में जुड़ी एनजीओस से इंटर्नशिप के रूप में जुड़कर उनके साथ काम करने की शुरुआत कर दी थी और यहीं से इन्होंने यह तय किया कि बिहार में इस तरह के काम की ज्यादा आवश्यकता है।
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