भिखारी ठाकुर के साथी रहे और ‘लौंडा नाच’ को जीवितरखने वाले मांझी को पद्मश्री7 को पद्म विभूषण, 10 को पद्म भूषण व 102 को पद्मश्री : 84 वर्ष के रामचंद्र मांझी को सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री से सम्मानित किया। मांझी ‘लौंडा नाच’ के कलाकार रहे हैं जो महिला ड्रेस पहन विभिन्न गानों और भिखारी ठाकुर के नाटकों पर डांस करते है। सारण जिले के तुझारपुर गांव में 1925 में जन्मे मांझी जब दस वर्ष के तब उन्होंने अदाकारी शुरू की और जल्द ही बिहार का शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर के संपर्क में आ गए। आज भी तुझारपुर गांव में रह रहे मांझी ने तब से मंच नहीं छोड़ा है।
भिखारी ठाकुर की परंपरा को जीवित रखने का बड़ा श्रेय इन्हें जाता है। रामचंद्र दलित समाज से आते हैं। साल 2017 में इन्हें 2017 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। इस उम्र में भी वे जब गाते हैं तो पिया का दर्द भी सामने आता है और भिखारी भी जीवंत हो उठते हैं। मांझी जब बेटी बेचवा गाते हैं तो सामने वाली आंखें भींग जाती हैं।
नई दिल्ली/पटना | राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को 119 नागरिकों को पद्म अवार्ड से सम्मानित किया। इस साल जिन लोगों को पद्म श्री पुरस्कार से नवाजा गया उनमें बिहार के दो दलित कलाकार रामचंद्र मांझी और दुलारी देवी समेत छह विभूति भी शामिल हैं। मांझी जहां ‘नाच’ कलाकार हैं वहीं दुलारी देवी मिथिला चित्रकार हैं। ऐसे डॉक्टर को भी इस पुरस्कार से नवाजा गया है जो बिहार के सुदूर देहाती इलाके में रहकर मरीजों का इलाज करते हैं।
डॉ. दिलीप कुमार सिंह की उम्र 92 साल है और इस उम्र में भी वे भागलपुर जिले के पीरपैंती प्रखंड के शेरमारी गांव में मरीजों को दवाइयां देते हैं। उनको दवा लिखते कभी नहीं देखा गया। विदेश की चमकीली दुनिया छोड़ वे गांव में भी बस गए। इसके अलावा लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान, चर्चित राजनेता व राज्यपाल रहीं मृदुला सिन्हा को मरणोपरांत पद्म पुरस्कार दिया गया। मांझी और दुलारी को राष्ट्रीय पुरस्कार तक पहुंचने के लिए काफी लंबा रास्ता तय करना पड़ा। राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने के बाद दोनों कलाकारों ने कहा कि ये उनकी जीवन की परिस्थितियां ही हैं जो उनकी कला को जीवन शक्ति देती हैं और उज्जवल बनाती हैं।
input – daily bihar
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