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खरना व्रत आज, डूबते सूर्य को कल दिया जाएगा अर्घ्य, पूजा को व्रती दिनभर निर्जला उपवास रखते हैं

खरना : गुड़-गन्ने की खीर से एनर्जी मेंटेन : चार दिवसीय छठ महापर्व में पहले दिन नहाय-खाय और दूसरे दिन खरना पूजा होती है। खरना पूजा के िलए व्रती दिनभर निर्जला उपवास रखते हैं। शाम को चावल को गुड़ या गन्ने के रस में पका कर खीर बनाते हैं। नमक और चीनी का सेवन वर्जित होता है।

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वैज्ञानिकता: खरना की रोटी, गुड़ की खीर और इसमें मिले मेवे… व्रतियों को अगले 36 से 40 घंटों तक एनर्जेटिक रखते हैं। गुड़-कैल्शियम, मैग्नेशियम, पोटैशियम, फॉसफोरस, आयरन, मैग्नीज, जिंक, सोडियम के साथ एनर्जी का सोर्स होता है। एक ग्राम गुड़ से 4 किलो कैलोरी एनर्जी मिलती है। दूध से प्रोटीन मिलता है। फल से फाइबर, मल्टीविटामिन्स और मिनरल्स मिलता है। इसके अलावा आटा में चोकर मिले रहने के कारण इससे बनी रोटी को खाने से लंबे समय तक हमारे शरीर में एनर्जी रिलीज होती है।

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सुख-समृद्धि और पुत्र की दीर्घायु की कामना के निमित्त सूर्योपासना का चार दिवसीय छठ महापर्व सोमवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ। पर्व को लेकर सुबह से ही घरों में काफी उत्साह रहा। पहले दिन पूजन स्थल की अच्छी तरह से साफ-सफाई की गई। महिलाओं ने व्रत रखा और शाम को मिट्टी के चूल्हे पर प्रसाद बनाया। अरवा चावल, चने की दाल, कद्दू, लौकी की सब्जी लहसुन प्याज रहित तैयार की गई। व्रती लोगों ने परिवार के साथ भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण किया।

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इस अवसर पर संगम व गंगा-यमुना में आस्था की डुबकी लगाकर सूर्यदेव से मंगल कामना की गई। पर्व शुरू होते ही घर-आंगन छठ मइया के गीत से गुलजार हो गए। प्रसाद बनाते समय घरों में महिलाएं पहिले-पहिले हम कइली मइया बरत तोहार, करिह क्षमा छठी मइया भूल चूक गलती हमार..गीत भी गुनगुनाती रहीं।

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छठ महापर्व का दूसरा दिन होता है खरना, जानिए पूजन विधि व महत्व : संगम व अन्य घाटों पर लोगों ने पूजन के लिए वेदी का निर्माण किया। पर्व पर नियम, संयम का पालन करते हुए व्रती महिलाएं बिस्तर की बजाय जमीन पर शयन करेंगी। छठ पर्व पर इस बार कोरोना का कोई असर नहीं दिख रहा है।

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input – daily bihar

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