बिहार के चम्पारण के चनपटिया में शुरू की गई स्टार्टअप जोन आज विकास के सफर पर निकल चूका है, बिहार का यह मॉडल काफी सफल होता हुआ नजर आ रहा है और देखते ही देखते बिगत एक वर्ष में लगभग 10 करोड़ से भी अधिक का कारोबार पूरा हो चूका है।
28 जून 2020 को शुरू हुए इस स्टार्टअप जोन से आज 600 श्रमिकों की आजीविका चलती है, बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार से लेकर कई मंत्री भी यहाँ का दौरा कर चुके है और इस पुरे मॉडल की तारीफ़ भी कर चुके है। महज 18 माह में देश ही नहीं विदेश में भी यह पहल अपनी विकास गाथा के लिए चर्चित हो गई है।
पिछले एक साल में 10 करोड़ से अधिक का कारोबार
मीडिया रिपोर्ट की माने तो एक वर्ष में इस स्टार्टअप जोन ने 10.45 करोड़ का कारोबार किया है, यहां अधिकतर गारमेंट्स से जुड़े उद्योग हैं। साल 2020 के मध्य में जब आपदा की मार सभी झेल रहे थे तब इस आपदा को अवसर में बदलने की लौ चनपटिया स्टार्टअप जोन के रूप में जलाई थी। सकारात्मक सोच और मजबूत इरादे के साथ जिलाधिकारी कुंदन कुमार ने इसकी शुरुआत की थी और आज यह देश विदेश तक धूम मचा रही है।
कोरोना के चलते वर्ष 2020 में लाकडाउन लगा तो हजारों कामगार दिल्ली, मुंबई, हरियाणा, गुजरात और पंजाब से घर लौटे। इन हुनरमंद कामगारों में से कई अपने हौसले, मेहनत और सरकारी मदद से उद्यमी बन गए। वे चनपटिया स्टार्टअप जोन में ट्रैक सूट, शर्ट, जींस, साड़ी, लहंगा, जैकेट, चुनरी, टी-शर्ट, शाल, जूता व सैनिटरी पैड आदि का निर्माण कर रहे हैं।
बड़े शहरों तक भेजे जा रहे प्रोडक्ट्स
मिली जानकारी के मुताबिक बिहार के अलग अलग जिलों के साथ लखनऊ, दिल्ली, दिल्ली, गोरखपुर और नेपाल तक उत्पाद भेजे जा रहे हैं। करीब 15 एकड़ भूमि में कृषि बाजार समिति की जमीन पर बने इस स्टार्टअप जोन में 55 यूनिटें काम कर कर रही हैं।
प्रतिदिन दो लाख रुपये का कारोबार हो रहा है। स्टार्टअप जोन से जिला प्रशासन को प्रतिमाह 92 हजार रुपये किराये के रूप में मिल रहे हैं। अधिकांश उद्यमियों ने जीएसटी का निबंधन करा लिया है। सरकार को इस मद में करीब 15 लाख रुपये मिले हैं।
इस स्टार्टअप जोन में काम करने वाले उद्यमी शोएब ताहिर ने मीडिया को बताया कि जिला प्रशासन का सहयोग नहीं मिलता तो आज यह मुकाम हासिल नहीं होता। इतने छोटे स्थल पर इतने बड़े पैमाने पर 10 करोड़ से ज्यादा का टर्नओवर करना बहुत बड़ी बात है। श्रमिक अब मालिक बन गए हैं।
श्रमिक अब बन गए मालिक
सूरत की एक कपड़ा मिल में नौकरी करने वाली अर्चना कुशवाहा लाकडाउन में यहां लौटीं। अभी वे यहां साड़ी व लहंगा बनाने की फैक्ट्री की मालिक हैं। कई लोगों को उन्होंने रोजगार दिया है। वह काम जानती थीं, इसलिए इसे चलाने में कोई मुश्किल नहीं आई। उनके गुणवत्तापूर्ण उत्पाद की प्रशंसा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कर चुके हैं। अर्चना का कहना है कि हमारे प्रोडक्ट बड़ी ही आसानी से बिक रहे हैं। इसकी डिमांड दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
इसी तरह से अलग अलग उद्यमी यहाँ अलग अलग तरह के प्रोडक्ट्स को बना रहे है और उसे प्रदेश के साथ बड़े शहरों तक भेजा जा रहा है। निश्चित रूप से रोजगार और उद्यम का यह मॉडल सफलता की ओर अग्रसर है और आनेवाले समय में यह रोजगार सृजन का बड़ा प्लेटफार्म बनेगा। जिला प्रशासन की ओर से उद्यमियों को हर संभव सहयोग किया जा रहा है।
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