NEW DELHI = दादी ने देखी 7 पीढ़ी, 4 बेटे-17 पोते, 15 हैं सरकारी नौकर, जानें अंतिम यात्रा में क्यों बजे लता मंगेशकर के गाने : राजस्थान के अलवर में 105 साल की दादी को खास तरीके से अंतिम विदाई दी गई जिसकी अब काफी चर्चा हो रही है. मालाखेड़ा के पृथ्वीपुरा गांव की रूपा देवी की अर्थी को फूलों और गुब्बारों से सजाया गया. अंतिम यात्रा में बैंड-बाजे पर फिल्मी गाने बजाए गए. बताया जा रहा है कि गांव में यह पहला मौका था जब महिलाएं भी शव यात्रा में शामिल हुईं हैं. परिजनों का कहना है कि रूपा देवी लता मंगेशकर की बड़ी फैन थीं. उनका कहना है कि दादी उस दौर की ज्यादातर गाने सुना करती थीं. लता दीदी के निधन की खबर सुनते ही रूपा देवी काफी दुखी हो गई थी.
बताया जा रहा है कि मंगलवार को रूपा देवी का निधन हुआ. फिर उनके बेटों और पोतों ने उन्हें खास तरीके से अंतिम विदाई देने की सोची. फिर ग्रामीणों से बातचीत कर तय किया गया कि उनके अंतिम विदाई में लता मंगेशकर के गीत बजाए जाएंगे. सभी मान गए. रूपा देवी की अर्थी को सजाया गया. अंतिम यात्रा में बैंड-बाजे पर बॉलीवुड सॉन्ग के साथ लता दीदी के ‘ ऐ मेरे वतन के लोगों और हम छोड़ चले हैं महफिल’ जैसे गाने बजाए गए.
शवयात्रा में महिलाएं भी हुईं शामिल
परिजनों का कहना है कि 105 साल की उम्र में भी रूपा देवी को कई बीमारी नहीं थी. निधन से ठीक एक दिन पहले उन्होंने खाना छोड़ दिया था, फिर उनकी तबीयत बिगड़ने लगी. आम तौर पर महिलाओं का शवयात्रा में जाने का रिवाज नहीं है, लेकिन रूपा देवी को अंतिम विदाई देने गांव की सैकड़ों महिलाएं भी शामिल हुईं. ग्रामीणों का कहना है कि दादी अपना काम खुद किया करती थी. उन्होंने लोगों को कपड़े दान किए. आखिरी वक्त पर अपने बेटों को कह गईं ‘मिल जुलकर साथ रहना’.
खास है 105 साल की दादी का परिवार
रूपा देवी का परिवार भी काफी बड़ा है. उन्होंने सात पीढ़ियां देखीं. उनके 4 बेटे, 17 पोते, 34 पड़ पोते, 6 सड़ पोते हैं. 3 बेटियों का परिवार अलग से है. पूरे परिवार में करीब 150 सदस्य हैं. इतना ही नहीं गांव में सरकारी नौकरी में सबसे अधिक रूपा देवी के पोते-पड़ पोते हैं. इस परिवार के 15 सदस्य सरकारी नौकरी में हैं, जिनमें से 11 पुलिस सेवा में हैं. 4 अन्य सरकारी नौकरी में हैं.
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