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एक ऐसा गांव जहां हिन्दू भी रखते हैं मुस्लिम सरनेम:नालंदा में 5000 की आबादी का सरनेम ‘गिलानी’, बोले- परंपरा नहीं तोड़ेंगे

आज के बदलते माहौल में भी बिहार में एक ऐसा गांव है, जहां हिन्दू हो या मुस्लिम, सब अपना सरनेम एक ही रखते हैं। वो भी खासकर मुस्लिम सरनेम। यह गांव है नालंदा जिले का गिलानी। बताया जा रहा है कि सदियों से चली आ रही परंपरा को लोग आज भी निभा रहे हैं। अब तो युवा भी गांव का नाम अपने साथ जोड़ने में गौरव महसूस करते हैं। वह अपने गांव और वहां की मिट्टी से प्यार करते हैं। कई लोग तो ऐसे हैं, जो दशकों से दूसरे प्रदेशों में रह रहे हैं। इसके बाद भी उन्होंने गांव का साथ नहीं छोड़ा।

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उनके नाम से ही पता चल जाता है कि वे किस गांव के हैं। गिलानी गांव के लोग अपने नाम के साथ गिलानी जोड़ते हैं। इसी तरह अस्थावां के अस्थानवी, हरगावां के हरगानवी, डुमरावां के डुमरानवी, उगावां के उगानवी, चकदीन के चकदीनवी और देसना गांव के लोग देसनवी सरनेम लगाते हैं।

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‘गिलानी’ है सबसे खास

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इन सबमें गिलानी सबसे खास है। अन्य छह गांवों में सिर्फ मुस्लिम धर्म के लोग इस परंपरा का पालन कर रहे हैं। वहीं, गिलानी में हिन्दू-मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग यह परंपरा निभा रहे हैं। गांव के सबा आजम गिलानी की मानें तो मुगल काल से ही यह परंपरा चली आ रही है। ऐसी मान्यता है कि इस्लाम के एक अनुयायी हजरत अब्दुल कादिर जिलानी के नाम से ‘गिलानी’ नाम रखा गया है। अरबी भाषा में ‘ग’ अक्षर नहीं होता, इसलिए लोग उनको जिलानी कहते हैं। इस वजह से गांव का पूरा नाम मोहीउद्दीनपुर गिलानी है।

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मौलाना मुजफ्फर गिलानी की किताब ‘मजमीन’ के अनुसार, गिलान एक जगह का नाम है। जहां बड़े पीर के अनुयायी रहा करते थे। वहां से किसी कारणवश कुछ लोग मोहीउद्दीनपुर गिलानी आए थे। उन लोगों के सरनेम में भी गिलानी लगा था। यहां उन लोगों के प्रभाव और आपसी सौहार्द को देखकर लोग अपने नाम के सरनेम में गांव का नाम लगाने लगे।

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5000 की आबादी है गांव में, जहां रहती है आधा दर्जन जातियां

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गिलानी गांव में कुल 5000 लोगों की आबादी है। जहां मुस्लिम समुदाय के अलावा हिंदू धर्म के पासवान, कोइरी, यादव, नाई, रविदास, कहार, कुम्हार पंडित जाति के लोग रहते हैं। दोनों धर्म के लोग अपने-अपने नाम के पीछे गिलानी सरनेम का उपयोग करते हैं। यहां के निवासी इमदाद अहसान गिलानी कहते हैं कि वो इस बात पर फक्र महसूस करते हैं कि अपने नाम के बाद गिलानी शब्द का इस्तेमाल करते हैं। यहां हिंदू-मुस्लिम सभी अपने नाम के आगे गिलानी लगाते हैं। पुराने से लेकर अब नए लोग भी इस परंपरा का पालन कर रहे हैं।एक अंतर यह आया है कि पुराने जनरेशन के लोग जाति का टाइटल लगाने के बाद गिलानी शब्द लगाते थे। यंग जेनरेशन के लोग जाति को हटाकर नाम के साथ सीधे गिलानी लगाते हैं। जैसे- अनिल कुमार गिलानी, इमरान गिलानी, मसूद अजहर गिलानी, डोमन गिलानी, अभिषेक गिलानी नाम के लोग गांव में रहते हैं और सरनेम का उपयोग करते हैं।

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सदियों पुराना गांव है गिलानी

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गांव के लोगों ने बताया कि मोहीउद्दीनपुर गिलानी सदियों पुराना गांव है। यहां एक नहीं, अनेको विद्धान, अदीब, साहित्यकार, कई IAS, इंजीनियर, डॉक्टर हुए हैं। इतना ही नहीं, यहां के कई लोग विदेशों में भी परचम लहरा चुके हैं। यहां के रहने वाले मौलाना मनाजिर अहसन गिलानी की किताब विश्व प्रसिद्ध है। इनके द्वारा लिखी गईं 14 किताबें विश्व प्रसिद्ध हुई हैं। यह गांव आम के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। यहां आम के बड़े-बड़े बगीचे हैं। यहां दूसरे जिले के लोग भी आम खरीदने आते हैं।

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