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आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, नंबर लाना काबिल होने की गारंटी नहीं, रिजर्वेशन जारी रहेगा

PATNA- सामाजिक न्याय है आरक्षण:सुप्रीम कोर्ट ने नीट PG में कोटे को सही ठहराया; कहा- ग्रेजुएट होने से किसी की आर्थिक स्थिति नहीं बदलती : सामाजिक न्याय जिंदाबाद, सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया कि नंबर लाना काबिल होने की गारंटी नहीं है, फिर भी, जसपाल गेस पेपर, चैंपियन गाइड और डी कुमार्स की कुंजी पढ़कर टॉप कर जाने वालों को भी बधाई।

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सुप्रीम कोर्ट ने किसी परीक्षा में मेरिट के साथ आरक्षण व्यवस्था लागू किए जाने को सही ठहराया है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने गुरुवार को इस कमेंट के साथ ही नीट PG में आरक्षण दिए जाने के खिलाफ दाखिल सभी याचिकाएं खारिज कर दीं। शीर्ष अदालत ने कहा- आरक्षण मेरिट या योग्यता के खिलाफ नहीं है, बल्कि सामाजिक न्याय है। मेरिट के साथ आरक्षण भी दिया जा सकता है। इसे विरोधाभासी नहीं मानना चाहिए।

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दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने नीट PG के मामले में 7 जनवरी को फैसला सुनाया था। अपने फैसले में शीर्ष अदालत ने नीट पीजी में 27% ओबीसी और 10% ईडब्ल्यूएस (केंद्रीय) के कोटे को मंजूरी दी थी, लेकिन उस दिन कोर्ट ने इस फैसले को लेने के कारण विस्तार से नहीं बताए थे। कोर्ट ने गुरुवार को यही कारण स्पष्ट किए हैं।

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क्या है पूरा मामला : सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई थीं। दलील थी कि किसी उम्मीदवार को ईडब्ल्यूएस कोटे का लाभ सालाना आय 8 लाख रु. से कम होने पर मिलता है, जोकि गलत है। याचिका दाखिल करने वालों का तर्क है कि इतनी आय वाला परिवार आर्थिक रूप से पिछड़ा नहीं होता। इसके जवाब में केंद्र सरकार ने कहा था कि यह मापदंड सही है।

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जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने फैसले में कहा…
ग्रेजुएट होने के बाद किसी व्यक्ति की आर्थिक या सामाजिक स्थिति नहीं बदल जाती। इसलिए, कमजोर वर्ग के उम्मीदवार की पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए उसके लिए आरक्षण जरूरी है। जब किसी भी पीजी कोर्स के लिए आरक्षण लागू है तो फिर नीट में क्यों नहीं हो सकता। प्रतियोगी परीक्षाओं में अर्जित अंक किसी की योग्यता का एकमात्र मापदंड नहीं हो सकता। योग्यता को सामाजिक रूप से प्रासंगिक बनाना होगा। आरक्षण योग्यता का विरोधाभासी नहीं है।

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