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Bihar के इन 31 जिलों का ग्राउंड वाटर बेहद खराब, रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे

बिहार के 31 जिलों में रहने वाले लोगों की आबादी का एक बड़ा तबका प्रदूषित जल का इस्तेमाल कर रहा है. इस पानी क इस्तेमाल से लीवर और किडनी से जुड़ी गंभीर बीमारी होने का भी खतरा है. इसके बावजूद बड़ा तबका इस पानी का उपयोग अपनी दिनचर्या में कर रहा है. राज्य की 16वीं आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है.

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हाल ही में बिहार के उपमुख्यमंत्री ताराकिशोर प्रसाद ने विधानसभा में राज्य की 16वीं आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश की थी. आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2021-22 में बताया गया था कि बिहार के ग्रामीण इलाकों में प्रदूषित भूजल (groundwater) के उपयोग से लोगों को खतरा हो सकता है. रिपोर्ट में बताया गया कि बिहार के 38 में से 31 जिलों के ग्रामीण इलाकों में ग्राउंड वाटर प्रदूषित है. यहां पानी में आर्सेनिक, फ्लोराइड और लौह तत्व ज्यादा मात्रा में मिले हुए हैं. इसका सेवन करने से लोगों के स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है. रिपोर्ट में बताया गया है कि 31 जिलों के 30.27 हजार वार्डों का ग्राउंड वाटर प्रदूषित है. इनमें से 3.79 हजार वार्ड 11 जिलों में स्थित हैं.

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सर्वे में सामने आया है कि 9 कोसी बेसिन जिलों के अलावा कुछ दूसरे जिलों में लोहे की अतिरिक्त मौजूदगी है. लगातार प्रदूषित पानी पीने से त्वचा, लीवर और किडनी से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं.

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बिहार के 31 जिलों में रहने वाले लोगों की आबादी का एक बड़ा तबका प्रदूषित जल का इस्तेमाल कर रहा है. इस पानी क इस्तेमाल से लीवर और किडनी से जुड़ी गंभीर बीमारी होने का भी खतरा है. इसके बावजूद बड़ा तबका इस पानी का उपयोग अपनी दिनचर्या में कर रहा है. राज्य की 16वीं आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है.

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हाल ही में बिहार के उपमुख्यमंत्री ताराकिशोर प्रसाद ने विधानसभा में राज्य की 16वीं आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश की थी. आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2021-22 में बताया गया था कि बिहार के ग्रामीण इलाकों में प्रदूषित भूजल (groundwater) के उपयोग से लोगों को खतरा हो सकता है. रिपोर्ट में बताया गया कि बिहार के 38 में से 31 जिलों के ग्रामीण इलाकों में ग्राउंड वाटर प्रदूषित है. यहां पानी में आर्सेनिक, फ्लोराइड और लौह तत्व ज्यादा मात्रा में मिले हुए हैं. इसका सेवन करने से लोगों के स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है. रिपोर्ट में बताया गया है कि 31 जिलों के 30.27 हजार वार्डों का ग्राउंड वाटर प्रदूषित है. इनमें से 3.79 हजार वार्ड 11 जिलों में स्थित हैं.

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सर्वे में सामने आया है कि 9 कोसी बेसिन जिलों के अलावा कुछ दूसरे जिलों में लोहे की अतिरिक्त मौजूदगी है. लगातार प्रदूषित पानी पीने से त्वचा, लीवर और किडनी से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं.

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इन जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में पानी प्रदूषित

प्रभावित जिलों में बेगूसराय, भागलपुर, भोजपुर, बक्सर, दरभंगा, कटिहार, खगड़िया, लखीसराय, मुंगेर, समस्तीपुर, सारण, सीतामढ़ी, पटना, वैशाली, औरंगाबाद, बांका, भागलपुर, गया, जमुई, कैमूर, मुंगेर, नालंदा, रोहतास शेखपुरा, नवादा और अररिया शामिल हैं. प्रभावित जिलों में लोगों को सुरक्षित पेयजल सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार विभाग ने पानी के गहरे बोरवेल खोदना शुरू कर दिया है.

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रिपोर्ट बाहर आने के बाद विभाग ने दी सफाई

रिपोर्ट में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (PHED) ने बिहार के पानी की गुणवत्ता, आंतरिक मूल्यांकन और निष्कर्षों के बारे में बताया है. PHED सचिव जितेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि सरकार स्थिति की गंभीरता को समझ रही है. उन्होंने कहा कि सरकार ‘एक पाइप जलापूर्ति’ योजना शुरू करने वाली है. विभाग NABL अप्रूव्ड लैब खोलने पर भी विचार कर रहा है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिए ‘हर-घर-जल-नल-योजना’ भी शुरू की है.

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