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बाल श्रम निषेध दिवस; आज भी सड़को पर ठोकर खाने को मजबूर देश के भविष्य, धरातल पर कोसों दूर सरकारी योजना

पूरा विश्व आज 12 जून को बाल श्रम निषेध दिवस मना रहा है. वहीं भारत में भी बाल श्रम एक बहुत बडा़ मुद्दा है, बाल श्रम को रोकने के लिए केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार ने न जाने कितने नियम और कानून बनाए है फिर भी अब तक इस पर नकेल लगाना लगभग नामुमकिन सा है. आज भी आपको बाल श्रम के नजारे सरेआम देखने को मिल रहा है.


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वही बात मुज़फ़्फ़रपुर जिले की जाए तो यहां खुलेआम बाल छोटे छोटे मासूम बच्चे श्रम करते हुए दिख जाते है. यह दृष्य मुज़फ़्फ़रपुर जिला समाहरणालय परिसर और उसके आस पास का है जहां बाल श्रम करते हुए मासूम बच्चे साफ दिख रहे है.


जिलाधिकारी के नाक के नीचे यह सब रोज देखने को मिल जाता है लेकिन इन्हें रोकने और देखने वाला कोई नहीं है. सरकार बाल श्रम निषेध के लिए भरसक प्रयास करती है लेकिन इसके लिए बनाए गये कानून पूरी तरह से निष्क्रिय साबित हो रहे है.


आज के दिन इस विषय पर चर्चा करना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है कि जिन बच्चों को बिहार और देश के भविष्य को उज्जवल करने की जिम्मेदारी सौंपी गई उनका ही भविष्य खुद अधर में है, जिन्हें स्कूल जाकर शिक्षित होना चाहिए वहीं आज सड़क पर घूम घूम कर कुडा़ और कचरा चुन रहे हैं.


मुजफ्फरपुर के इन दृश्यों को देखकर बाल श्रम निषेध दिवस पूरी तरह से एक व्यंग के समान प्रतीत होता है, कहीं ना कहीं इस दिवस को सार्थक करने के लिए बाल श्रम निषेध कानून को धरातल पर लाने की जरूरत है. ताकि देश का भविष्य अंधेरे में जाने से बचे और देश को गढ़ने का काम करें.

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