थोक डीजल के रेट में 25 रुपये लीटर का इजाफा : ● थोक खरीदारों में सरकारी बसों के बेड़े, रक्षा प्रतिष्ठान, रेलवे, ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन, पावर प्लांट, सीमेंट प्लांट, मॉल, हवाईअड्डे आदि शामिल हैं ● यह लोग बिजली पैदा करने या कारोबारी आवश्यकता के लिए डीजल का उपयोग करते हैं ● 81 हजार 699 पेट्रोल पंप हैं देशभर में कुल ● 90 फीसदी पेट्रोल पंप सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियोंके पास ● नायरा एनर्जी 6,510 और जियो-बीपी 1,454 पेट्रोल पंप संचालित करती हैं देश में
इसलिए बढ़ रहे दाम: खुदरा कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका के बीच मार्च के पहले 15 दिनों में पेट्रोल-डीजल की जमकर बिक्री हुई। इसका कारण यह है कि बस बेड़े के परिचालक और मॉल जैसे थोक उपभोक्ता पेट्रोल पंपों से ईंधन खरीद रहे हैं। आमतौर पर वे कंपनियों से सीधे ईंधन खरीदते थे। ऐसे में तेल कंपनियों का नुकसान बढ़ा है।
पांच माह से नहीं बढ़े दाम: सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने चार नवंबर 2021 र्से ईंधन के दाम नहीं बढ़ाए हैं। हालांकि, इस दौरान वैश्विक स्तर पर कीमतों में उछाल आया है।
आम आदमी पर लंबे समय में पड़ेगा असर
कीमतों में बढ़ोतरी का असर अंत में आम आदमी पर ही पड़ेगा। केडिया एडवाइजरी के प्रबंध निदेशक अजय केडिया कहते हैं कि थोक खरीदारों के लिए माल-ढुलाई सबसे ज्यादा प्रभावित होगी। इससे वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी, जिसका सीधा असर आम आदमी पर पड़ेगा। महंगाई दर में भी बढ़ोतरी होगी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें दो से तीन महीने उच्च स्तर पर बनी रहने का अनुमान है। ऐसे में घरेलू स्तर पर ऊंची कीमतों से राहत के आसार नहीं हैं।
कौन हैं थोक ग्राहक
15 दिनों में 32 फीसदी बढ़ी बिक्री
खुदरा कीमतों में वृद्धि की आशंका के बीच मार्च के पहले 15 दिनों में पेट्रोल-डीजल की जमकर बिक्री हुई। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने 3.53 मिलियन टन डीजल बेचा है। एक महीने पहले की समान अवधि के मुकाबले यह 32.8 अधिक है। वहीं, सालाना आधार पर बिक्री 23.7 प्रतिशत बढ़ी है।
निजी कंपनियों पर संकट के बादल
कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से सबसे अधिक नायरा एनर्जी, जियो-बीपी और शेल जैसी कंपनियां प्रभावित हुई हैं। पंपों के लिए परिचालन अब आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं रह जाएगा। वर्ष 2008 में बिक्री घटकर शून्य पर आने के बाद रिलायंस को सभी 1,432 पेट्रोल पंप बंद करने पड़े थे।
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