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होली से पहले जबरदस्त महंगा हुआ रिफाइन और सरसों तेल, रूस-यूक्रेन युद्ध से खाद्य तेलों में उबाल

रूस-यूक्रेन युद्ध से खाद्य तेलों में उबाल, रिफाइन ज्यादा महंगा, पटना में सरसों तेल का दाम स्थिर रहने से राहत, ऐसे बढ़ीं खाद्य सामग्रियों की कीमतें : दिसंबर से जनवरी तक कोरोना और अब रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते महंगाई बेलगाम है। निर्माण सामग्रियों के बाद अब खानपान की सामग्रियों पर भी युद्ध का असर होने लगा है। सबसे अधिक प्रभाव रिफाइन पर पड़ा है। रिफाइन ऑयल में किलो पर 25 से 30 रुपए की बढ़ोतरी हुई है। जबकि देसी घी, आटा-मैदा और सूजी के भाव भी चढ़ गए हैं। आटा का भाव चार रुपए और मैदा का दो रुपए प्रति किलो बढ़ गया है। मैदा की 50 किलो की बोरियों का दाम 80 से 100 रुपए तक बढ़ गया है। आलू और प्याज के भाव भी बढ़ गए हैं। 80 रुपए का पांच किलो बिकने वाला आलू अब 100 रुपए का पांच किलो बिक रहा है। इसी तरह प्याज भी 160 से 200 रुपए के पांच किलो मिल रहा है।

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हालांकि सूखे मेवे यानी काजू-किशमिश, अंजीर, बादाम, छुआरा, अखरोट आदि के दाम में कोई अंतर नहीं आया है। इसी तरह सरसों तेल की कीमत भी स्थिर है। लेकिन, माना जा रहा है कि जैसे-जैसे युद्ध लंबा खिंचेगा सरसों तेल से लेकर अन्य खाद्य सामग्रियों की दर में और तेजी आएगी। युद्ध का असर सबसे ज्यादा खाद्य तेलों पर हो रहा है, क्योंकि सोयाबिन, राइस ब्रान और सूरजमूखी से बनने वाला रिफाइन तेल यूक्रेन से आता था, जो अभी बंद है। बाजार में अचानक बढ़ी महंगाई से लोग परेशान हैं।

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रिफाइन तेल और सोयाबीन बड़े पैमाने पर यूक्रेन से आयात होता है
भारत में रिफाइन तेल और सोयाबीन का बड़े पैमाने पर यूक्रेन से आयात होता है। लेकिन, इन दिनों युद्ध के कारण आयात बंद है, इसलिए खाद्य तेलों की महंगाई बढ़ी है। अरुण कुमार,

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किराना कारोबार के जानकार
सोयाबीन विदेश से आता है और इसबार विदेश में फसल कमजोर है। साथ ही यूक्रेन युद्ध के कारण पहले की तरह सामग्रियां स्मूथली नहीं आ रही हैं, इसलिए महंगाई बढ़ी है। -रमेश तलरेजा, खुदरा विक्रेता महासंघ

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