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शिक्षक की सरकारी नौकरी छोड़ राजनीति में आये, अब नीतीश-तेजस्वी सरकार में मिला मंत्री का पद

बिहार में मंत्रीमंडल का विस्तार (Bihar Cabinet Expansion) कर दिया गया है, महागठबंधन की नयी सरकार में नीतीश कैबिनेट में मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री के अलावे 31 नये मंत्रियों ने मंगलवार को शपथ ग्रहण किया।

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नितीश कुमार और तेजस्वी यादव की इस नयी सरकार में राजद और जदयू के अलावे कांग्रेस को दो और हम पार्टी को एक मंत्री पद मिला है। बिहार की नीतीश सरकार में एक ऐसे शख्स को मंत्री बनाया गया है जिसने राजनीति में आने के लिए सरकारी शिक्षक की नौकरी छोड़ दी और फिर कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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बने पंचायती राज मंत्री

जी हाँ हम बात कर रहे है बिहार के रोहतास जिला के कोचस प्रखंड के चितैनी पंचायत अंतर्गत मध्य विद्यालय, सेलास के शिक्षक रह चुके मुरारी प्रसाद गौतम (Murari Prasad Gautam) के बारे में जिन्हें नीतीश कुमार की नई सरकार में पंचायती राज का मंत्रालय सौपा गया है। इनके मंत्री पद पर शपथ लेते ही समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई है।

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मुरारी प्रसाद गौतम के पिताजी महेंद्र राम कोचस के चितैनी पंचायत के मुखिया रह चुके है, पांच भाइयों में मुरारी प्रसाद गौतम दूसरे नंबर पर हैं।

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पिता के निधन के बाद राजनीति में रखा कदम

मुरारी ने पांचवी तक की पढ़ाई सासाराम के शिशु मंदिर नामक निजी विद्यालय से की थी. उसके बाद पटना के कंकड़बाग स्थित एसपीडी हाई स्कूल में आगे की पढ़ाई की। पिता के निधन के बाद मुरारी प्रसाद गौतम को राजनीति में आना पड़ा क्योंकि इनके पिता महेंद्र राम चेनारी विधानसभा सीट से 4 बार चुनाव लड़ चुके थे लेकिन उन्हें चारो बार पराजय हाथ लगी थी।

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बाद में तत्कालिक विधायक ललन पासवान के द्वारा विधायक पद से इस्तीफा दे देने के बाद चेनारी सीट खाली हुई और उपचुनाव में कांग्रेस ने मुरारी प्रसाद गौतम पर ही दांव खेला और उन्हें जीत हासिल हुई लेकिन बाद के एक चुनाव में वह नहीं जीत सके।

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2020 में फिर से मिली जीत

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें फिर से अपना उम्मीदवार बनाया और मुरारी प्रसाद गौतम चुनाव जीतकर दूसरी बार चेनारी के विधायक हो गए, अपने पिता के राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए उन्हें शिक्षक की सरकारी नौकरी छोड़नी पड़ी।

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कांग्रेस के हैं वफादार

राजनितिक में तमाम तरह के उठा पटक होते रहता है खासतौर से बिहार की राजनीति में बीते एक दशक में क्या हुआ है किसी से छुपा नहीं है लेकिन इन सबके बावजूद भीवह कांग्रेस में बने रहे। इसी का परिणाम हुआ कि पार्टी ने लगातार इन पर भरोसा जताया और यह भी दल के विश्वास पर खरे उतरे हैं, यही कारण है कि कांग्रेस ने इन्हें मंत्री बनने का मौका दिया है।

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