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माता—पिता को तंग करने वाले बेटों पर चला कोर्ट का डंडा, ना संपत्ति मिलेगी ना घर में रहने का अधिकार

PATNA- कुछ साल पहले सीएम नीतीश कुमार ने बिहार में एक कानून बनाया था। पता नहीं उस कानून के तहत कितने लोगों को लाभ मिला। दावे के साथ यह भी नहीं कहा सकता कि बिहार के किसी भी थाने में एक भी मामला दर्ज हुआ या नहीं। आप सोंच रहे होंगे कि वह कानून क्या था। चलिए हम बताते हैं। अगर कोई संतान ठीक ढंग से अपने माता—पिता की देखभाल नहीं करते हैं तो ना सिर्फ उनको जेल भेजा जा सकता है बल्कि संपत्ति से बेदखल भी किया जा सकता है। बिहार का तो पता नहीं लेकिन यूपी के हरिद्वारा में कोर्ट ने इस तरह के कानून का पालन करते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। मामले की सुनवाई कर रहे जज साब ने ना सिर्फ बेटों को फटकार लगाई है बल्कि आदेश दिया है नालायक संतानों को माता-पिता के संपत्ति से बेदखल करते हुए घरों से बाहर निकाल दिया जाए।

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अमर उजाला की खबर के अनुसार माता-पिता की सेवा करने की बजाय उन्हें प्रताड़ित करने वाले बच्चों को सचेत होने की जरूरत है। हरिद्वार एसडीएम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए ऐसे छह बुजुर्गों के बच्चों को माता-पिता की संपत्ति से बेदखल करते हुए एक महीने के अंदर घर खाली करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर पुलिस प्रशासन को आवश्यक कार्रवाई करने के लिए कहा गया है।

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माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण और कल्याण अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति एसडीएम कोर्ट में अपने बच्चों के खिलाफ वाद दायर कर सकता है। अधिनियम की धारा के तहत एसडीएम की ओर से सुनवाई के बाद बच्चों को उनकी संपत्ति से बेदखल कर दिया जाता है। ऐसे ही छह बुजुर्गों की ओर से हरिद्वार एसडीएम कोर्ट में वाद दायर किया गया था।

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बुधवार को एसडीएम पूरण सिंह राणा इन मामलों की सुनवाई कर रहे थे। ज्वालापुर, कनखल और रावली महदूद के बुजुर्गों की ओर से कोर्ट में वाद दायर किया गया था कि उनके बच्चे उनके साथ ही रहते हैं, लेकिन न तो उनकी कोई सेवा करते हैं और न ही खाना देते हैं। उल्टे उनके साथ मारपीटकर प्रताड़ित करते हैं। जिससे उनका बुढ़ापे का जीवन नरक बन गया है।

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वरिष्ठ नागरिकों की ओर से अपने बच्चों से राहत दिलाने के लिए कोर्ट से गुहार लगाई गई थी जिसमें उन्हें अपनी चल और अचल संपत्ति से बेदखल कर घरों से बाहर निकालने की मांग की गई थी। बुजुर्गों की याचिका पर सुनवाई करते हुए एसडीएम पूरण सिंह राणा ने सभी छह मामलों में बच्चों को माता-पिता की संपत्ति से बेदखल करने का फैसला सुनाया है। साथ ही 30 दिन के भीतर घर खाली करने के आदेश दिए। फैसले में कहा गया कि यदि यह लोग घर खाली नहीं करते हैं तो संबंधित थाना प्रभारियों को इस मामले में कार्रवाई करने के लिए कहा है।

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