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बड़े-बड़े इंजीनियर हुए फेल, मुस्लिम मिस्त्री ने स्थापित करवाया ढाई टन का शिवलिंग, कहा- पुण्य का काम है

मध्य प्रदेश के मंदसौर के प्रसिद्ध भगवान पशुपतिनाथ महादेव मंदिर में सहस्त्रेश्वर महादेव की प्रतिमा स्थापित की जा रही है. जानकारी के मुताबिक इस शिवलिंग का वजन ढाई टन है, जबकि इसकी लंबाई और गोलाई 6.50 फीट है. शिव की इस शिवलिंग को को जलाधारी यानी जिलहरी में स्थापित किया जाना था. इसके लिए बकायदा क्रेन की मदद ली जानी थी. इसके लिए प्रशासन ने पीडब्ल्यूडी, पीएचई, जिला पंचायत सहित सभी विभागों के इंजीनियर्स को बुलाया. लेकिन कोई नहीं बता पाया कि आखिर शिवलिंग को जिलहरी पर कैसे उतारा जाए. इसके बाद भगवान को मंदिर में स्थापित करने का जिम्मा एक मुस्लिम मिस्त्री ने लिया.

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कभी स्कूल नहीं गए मकबूल मिस्त्री

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब इस काम की तैयारी चल रही थी तब वहां मकबूल नाम के एक मिस्त्री भी काम कर रहे थे. अधिकारियों और इंजीनियर्स को इस समस्या से जूझते हुए मकबूल देख रहे थे. लेकिन कोई भी जब इसका समाधान नहीं निकाल पाया तो अंत में मकबूल ने एक ऐसा तरीका बताया जो पहले किसी के दिमाग में नहीं आया था. जब उन्होंने इसका समाधान बताया तो वहां खड़े सभी अधिकारियों के होश उड़ गए. सबसे कमाल की बात ये है कि मकबूल कभी स्कूल नहीं गए. इसके बाद भी उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर इस समस्या का समाधान निकाला.

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मकबूल ने बताया ये तरीका

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आपको बता दें कि मकबूल ने ये उपाय सुझाया कि शिवलिंग को जिलहरी में जिस जगह स्थापित करना है वहां पर अगर बर्फ रख दिया जाए तो जिलहरी को भी कोई नुकसान नहीं होगा और शिवलिंग भी सुरक्षित रहेगा. इसके बाद बर्फ पिघलेने के साथ भगवान शिव जिलहरी में प्रवेश करते जाएंगे. कोई अन्य रास्ता ना देखते हुए सबने मकबूल की बात मानी और उनकी सूझबूझ काम आ गई. इंजीनियरों को घंटों से परेशान करने वाली समस्या को मकबूल ने मिनटों में सुलझा दिया. उनकी सूझबूझ से शिव सहस्त्रेश्वर महादेव जलाधारी में स्थापित हो गए.

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‘अल्लाह ईश्वर एक ही है’

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मीडिया से बात करते हुए मकबूल ने कहा कि अल्लाह ईश्वर एक ही है. और मुझे बहुत खुशी है कि मेरे हाथों से यह पुनीत काम हुआ है. मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष कलेक्टर गौतम सिंह ने बताया कि शिवलिंग को जिलहरी में स्थापित करने के लिए कड़ी मशक्कत करना पड़ी. सभी इंजीनियर बुला लिए. सभी अधिकारी लग गए लेकिन कोई उपाय नहीं दिख रहा था. मकबूल भाई आए और उन्होंने यह काम आसानी से कर दिया. ऐसा लगा था कि इस काम के लिए उन्हें भगवान ने ही भेजा है.

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