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बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट का झटका, कहा— लोहार जाति को एसटी की श्रेणी में रखना गलत है

PATNAलोहार जाति को एसटी की श्रेणी में रखना गलत : सुप्रीम कोर्ट, बिहार सरकार की अधिसूचना रद्द की, कोर्ट में बिहार सरकार ने आपत्ति दर्ज की : सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि लोहार और लोहरा एक नहीं है। बिहार में लोहार जाति ओबीसी की श्रेणी में आती है, जबकि बिहार सरकार ने 2016 में एक अधिसूचना जारी कर लोहार जाति को एसटी की मान्यता दे दी। सुनील कुमार राय तथा अन्य ने बिहार सरकार की इस अधिसूचना को कोर्ट में चुनौती दी थी। उनकी दलील रही कि लोहरा और लोहार एक नहीं है। लोहरा एसटी की श्रेणी में आता है और यह केवल आदिवासी इलाके में पाया जाता है। इसका लोहार जाति से कोई लेना-देना नहीं है। बिहार में पहले से ही लोहार ओबीसी की श्रेणी में है। लेकिन 2016 में बिहार सरकार ने लोहार को लोहरा मानते हुए एसटी की श्रेणी में डाल दिया, जो असंवैधानिक और अवैध है।

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बिहार सरकार की ओर से इस पर आपत्ति दर्ज करते हुए कोर्ट को बताया गया कि आवेदकों ने पांच साल के बाद यह सवाल उठाया है, जिस पर विचार नहीं किया जा सकता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि जब मौलिक अधिकार के उल्लंघन का मामला हो, तो विलंब आड़े नहीं आ सकता है। कोर्ट ने कहा कि पहले ही यह फैसला हो चुका है कि लोहार जाति एसटी नहीं है। इसके बावजूद बिहार सरकार ने अधिसूचना जारी की, जो पूरी तरह गलत है और उसे रद्द किया जाता है।

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