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बिहार में शहद की मिठास खोल रही स्‍वरोजगार के द्वार, मधुमक्‍खी पालन से महिलाएं कर रही अच्‍छी कमाई

बिहार में शहद की मिठास से स्‍वरोजगार के द्वार खुल गए हैं।बिहार के खगडि़या में समूह से जुड़कर 150 महिलाएं मधुमक्‍खी पालन कर रही हैं। जीविका की ओर से महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। इनमें एक मधुमक्खी पालन योजना भी है। इस योजना के तहत एक महिला उद्यमी को 10 मधुमक्खी बाक्स दिए जाते हैं। एससी-एसटी कैटेगरी की महिला को 90 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है। ओबीसी कैटेगरी की महिला को 70 प्रतिशत की छूट रहती है। महिलाएं साल में चार बार मधु निकालती हैं। एक बाक्स में एक सीजन में चार से पांच किलो मधु का उत्पादन होता है।

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इस प्रकार एक सीजन में एक जीविका दीदी कुल 50 किलो मधु का उत्पादन करती हैं। पूरे वर्ष में दो क्‍वि‍ंंटल मधु का उत्पादन हो जाता हैं। इस प्रकार जीविका के सहयोग से डेढ़ सौ महिलाओं द्वारा एक वर्ष में तीन सौ क्‍व‍िंटल मधु का उत्पादन किया जा रहा है। तैयार मधु डाबर कंपनी खरीद कर ले जाती है। एक जीविका कार्यकर्ता साल में कम से कम 50,000 से 60,000 रुपये की आमदनी इससे कर लेती है।

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बिहार में मधुमक्‍खी पालन

30 किलो शहद का उत्पादन करने में सफल रहीं इशरत बानू

सदर प्रखंड के दक्षिणी माडऱ, वार्ड नंबर 13 की रहने वाली है – इशरत बानू। उन्हें जीविका की ओर से मार्च 2021 में 10 डब्बे मधुमक्खी पालन को लेकर दिए गए। वे नवंबर में 30 किलो शहद का उत्पादन करने में वह सफल रहीं। इशरत बानू के पुत्र मु. राजा आलम ने बताया कि बरसात के कारण चार डब्बे की मधुमक्खियां मर गई। बावजूद 30 किलो शहद मिला। अब मौसम अनुकूल है, तो मधुमक्खियों की संख्या बढऩे लगी है। 15 दिसंबर से अनुकूल मौसम हो जाता है। इस मौसम में मधुमक्खियों की प्रजनन क्षमता अधिक होती है।

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जीविका ने वितरित किये डब्बे

जीविका दीदी चांदनी देवी को भी मार्च 2021 में मधुमक्खी की 10 डब्बे दिया गया। छह डिब्बे की मधुमक्खियां सुरक्षित है। जबकि चार डब्बे की मधुमक्खियां बरसात में मर गई। चांदनी देवी बताती हैं- 25 लोगों की एक ग्रुप बनाई गई थी। जीविका की ओर से मधुमक्खी के 10-10 डब्बे दीदियों के बीच वितरित किया गया। मैं एक सीजन में इन डब्बों से 40 किलो शहद निकाल लेती हूं।

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जीविका की ओर से महिला स्वावलंबन की दिशा में लगातार प्रयास किया जा रहा है। मधुमक्खी पालन से डेढ़ सौ के आसपास महिलाएं जुड़ी हुई हैं। उन्हें शहद से अच्छा मुनाफा हो रहा है। – अजित कुमार, डीपीएम, जीविका, खगडिय़ा।

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