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बिहार में दाखिल-खारिज के नियमों में बदलाव साथ ही प्रखंडों में आसानी से मिल सकेगा 16 तरह का दस्तावेज, जानिए

अब बिहार में जमीन का दाखिल खारिज कराने के लिए डीसीएलआर दफ्तर का चक्कर वाजिब लोगों को नहीं लगाना पड़ेगा। जमीन सुधार उप समाहर्ता अब किसी भी परिस्थिति में दो से ज्यादा बार दाखिल खारिज वाद को स्थापित नहीं कर सकेगा।

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यह जानकारी शुक्रवार को जमुई में मीडिया से मुखातिब होते हुए भूमि एवं राजस्व मंत्री रामसूरत राय ने दी। मंत्री रामसूरत राय ने प्रेस नोट जारी करते हुए बताया कि बिहार भूमि दाखिल खारिज अधिनियम 2011 के अनुसार सभी भूमि सुधार उप समाहर्ता को लेकर देकर अधिनियम की धारा 7(4) के अनुसार 30 कार्य अवधि में म्यूटेशन वाद के निष्पादन का आदेश दिया गया।

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प्रतीकात्मक चित्र

बता दें कि भूमि सुधार उप समाहर्ता म्यूटेशन अपील कोर्ट में 1 अगस्त 2021 को सुनवाई की ऑनलाइन व्यवस्था का उद्घाटन किया गया था। अब अपील एवं सुनवाई को आम जनता ऑनलाइन देख सकती है। नए तेवर और कलेवर में बिहार भूमि को 31 जुलाई को ऑनलाइन दाखिल खारिज की पोर्टल पर पुनः लांच किया गया है। मोबाइल फोन के माध्यम से भी इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।

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राजस्व मंत्री ने जानकारी दी कि प्रदेश के 534 प्रखंड में से 102 में आधुनिक अभिलेखागार व डाटा केंद्र बनकर पूरी तरह तैयार है। जल्द ही से शुरू करने की तैयारी है। यहां से 16 प्रकार के राजस्व कागजातों को मामूली शुल्क देकर आम लोगों को देने का प्लान है। मंत्री ने कहा कि विशेष महाल के जमीन की विभाग के द्वारा समीक्षा हो रही है। जिसके लिए जमीन का आवंटन नियम नहीं होगा उनका आवंटन रद्द होगा। इसके लिए प्रत्येक जिला में टीम का गठन किया गया है। अब ऑनलाइन ही प्रदेश के गांव, मोहल्लों और मौजों का राजस्व नक्शा मंगाया जा सकता है। बिहार देश का पहला ऐसा राज्य होगा, जो इस तरह की सुविधा प्रदान करेगा।

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मंत्री ने बताया कि दाखिल खारिज नियम में संशोधन हुआ है और मामलों को मंजूर ना कर देना को कठिन कर दिया गया है। अंचल पदाधिकारी को किसी भी एप्लीकेशन को अस्वीकृत करने से पूर्व मुनासिब वजह बताना होगा।

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