बिहार के पूर्णिया जिले के एक शिक्षक बच्चों को हिंदी की वर्णमाला गा-गाकर पढ़ा रहे हैं। उनका यह अंदाज न सिर्फ बच्चों को बहुत पसंद आ रहा है, बल्कि लोगों को भी खूब भा रहा है। बच्चे भी रूचि लेकर उसे पढ़ रहे हैं।
स्कूल का नाम प्राथमिक विद्यालय सुगनी टोला है, जो वसंतपुर पंचायत में स्थित है। वहीं, शिक्षक हैं सतीश कुमार। हिंदी पढ़ाने के अंदाज बच्चों को इतना पसंद आया है कि स्कूल में उनकी उपस्थिति भी डबल हो गई है।
क… से कबूतर उड़ा रहे थे, पढ़ाया तो ब से बच्चे हुए दोगुने
शिक्षक सतीश कुमार ने हिंदी वर्णमाला को राइम्स के जरिए पढ़ाना शुरू किया है। साथ ही बच्चों को डांस कर एक्सप्रेशन के साथ क से कबूतर उड़ाया और ख से खाना खिलाया।
वहीं, ग से गाना गाया तो घ से घड़े में ठंडा पानी। ङ का घर है खाली, बच्चों बजाओ ताली। बच्चे ताली भी बजा रहे हैं। इस अंदाज से बच्चे खूब इंजॉय करके स्कूल में पढ़ रहे हैं। इससे उनकी संख्या भी बढ़ गई है।
शिक्षक सतीश ने बताया कि इस स्कूल में 150 बच्चे पढ़ रहे हैं। कक्षा 1 और 2 में पहले मुश्किल से 50 बच्चे ही आते थे, लेकिन पढ़ाने के अंदाज के बाद 100 बच्चे आना शुरू कर दिए हैं। बच्चों की संख्या में लगातार वृद्धि जारी है।
स्कूल के पास नहीं है अपना भवन और बैंच-डेस्क
प्राथमिक विद्यालय सुगनी टोला को न तो अपना भवन और न ही बैंच डेस्क। ऐसे में बिना इंफ्रास्ट्रक्चर के बच्चों की पढ़ाई मुश्किल है, लेकिन शिक्षक सतीश ने अभाव को अवसर में बदल दिया। बच्चे अपने घर से बोरा लाकर भी शिक्षक की क्लास को मिस नहीं करते हैं।
जबकि, इस स्कूल को 4 किलोमीटर दूर मध्य विद्यालय चपहरी में शिफ्ट कर दिया गया है। इस स्कूल में एक और प्राथमिक विद्यालय चलता है। कुल मिलाकर इस स्कूल में तीन स्कूल चलता है।
150 बच्चों पर केवल 2 शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय सुगनीटोला में कुल 150 बच्चे नामांकित हैं। इन बच्चों को पढ़ाने के लिए पहले एक शिक्षक डेप्युटेशन पर थे, लेकिन सतीश के आने के बाद शिक्षकों की संख्या दो हो गई।
अब दो शिक्षकों के कंधे पर इन बच्चों के भविष्य की जिम्मेवारी है। सतीश कुमार पूर्णिया के रहने वाले हैं, लेकिन स्कूल के बच्चों के बीच लेट से नहीं पहुंचे। इस वजह से उन्होंने रूपौली में ही रूम रेंट पर ले लिया।
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