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बिहार के बावन बूटी साड़ी को मिलेगा जीआई टैग, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बनेगी पहचान, जानिए फायदा

नालंदा की काफी पुरानी परंपरा बावन बूटी साड़ी को जल्द ही जीआई टैग मिलने की उम्मीद है। जीआई टैग मिलने से देश विदेश में बावन बूटी साड़ी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी जिससे बुनकरो को सीधा फायदा होगा।

बिहार के नालंदा जिला का नेपुरा गांव हस्तकरघा उद्योग के लिए काफी प्रसिद्ध है। यहां घर घर लोकप्रिय बावनबूटी की साड़ी, तसर एवं कॉटन से तैयार की जाती है।

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नालंदा की काफी पुरानी परंपरा बावन बूटी साड़ी को जल्द ही जीआई टैग मिलने की उम्मीद है। नाबार्ड बावन बूटी साड़ी को जीआई टैग दिलाने के लिए आगे आया है।

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Bawan Booti Sari, a very old tradition of Nalanda, expected to get GI tag soon
नालंदा की काफी पुरानी परंपरा बावन बूटी साड़ी को जल्द ही जीआई टैग मिलने की उम्मीद

जीआई टैग मिलने से देश विदेश में बावन बूटी साड़ी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी जिससे बुनकरो को सीधा फायदा होगा।

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बावन बूटी को जीआई टैग दिलाने के लिए प्रक्रिया शुरू

नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक अमृत कुमार बरनवाल ने बताया कि बावन बूटी को जीआई टैग दिलाने के लिए प्रक्रिया की शुरुआत कर दी गई है। जीआई टैग से उत्पाद और गुणवत्ता की पहचान होती है।

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Process started to get GI tag for Bawan Booti
बावन बूटी को जीआई टैग दिलाने के लिए प्रक्रिया शुरू

उन्होंने बताया कि बावन बूटी हस्तकला डिजाइन को नाबार्ड के क्षेत्रीय बिहार कार्यालय द्वारा 12 मई को जी आई रजिस्ट्री में आवेदन प्रस्तुत किया गया है।

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बुनकरों को मिलेगी वैश्विक पहचान

उन्होंने कहा कि नाबार्ड का यह प्रयास रहेगा कि जल्द ही बावन बूटी साड़ी को जीआई टैग मिल जाए। जीआई टैग मिलने से नालंदा के बुनकर को वैश्विक पहचान मिलेगी। इसके अलावा जीआई का लोगो भी मिलेगा।

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Nalanda weaver will get global recognition by getting GI tag
जीआई टैग मिलने से नालंदा के बुनकर को वैश्विक पहचान मिलेगी

जिससे वे अपने उत्पाद को देश विदेश में भेज सकेंगे। जिला विकास प्रबंधक ने बताया कि यहां के बुनकर को उचित दाम नहीं मिल पा रहा था। जी आई टैग मिलने से बुनकर अपने हुनर के बदौलत आत्मनिर्भर बन सकेंगे।

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कैसे पड़ा बावनबूटी का नाम?

वहीं बुनकर अजीत कुमार , जितेंद्र कुमार तांती एवं अखिलेश कुमार ने बताया कि नेपुरा के बावन बूटी साड़ी का अलग पहचान है। नेपुरा में बावनबूटी हस्तकला का काफी पुरानी परंपरा है, जिसमें सादे वस्त्र पर हाथों से बुनकर धागे की महीन बूटी डाली जाती है।

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हर कारीगरी में एक ही बूटी का इस्तेमाल 52 बार किया जाता है। 52 बूटियों के होने के कारण इसको बावनबूटी का नाम दिया गया है।

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A very old tradition of Bavanbooti handicraft in Nepura
नेपुरा में बावनबूटी हस्तकला का काफी पुरानी परंपरा

बुनकरों में खुशी का माहौल

उन्होंने बताया कि नेपुरा में पहले 70 से 75 घर में हथकरघा का काम होता था लेकिन बाजार नहीं रहने के कारण अब मात्र 35 – 40 घर ही बचे हैं। जहां महिलाएं धागे का को निकालने का काम एवं पुरुष बुनाई का काम करते हैं।

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लुप्त होते जा रही इस परंपरा को जीआई टैग मिलने की उम्मीद से बुनकरों में खुशी का माहौल है। बुनकर जीआई टैग से देश विदेश में गुणवत्ता के साथ अपने उत्पाद एवं जीआई लोगों के साथ बावन बूटी साड़ी देश-विदेश में बेच सकेंगे। बुनकर अपने हुनर के बदौलत आत्मनिर्भर भी बन सकेंगे।

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