कभी बिहार पुलिस में इंस्पेक्टर रहे दो दोस्तों ने VRS ले लिया और खेती-किसानी शुरू कर दी। इनमें से एक भोजपुर के नरही निवासी दीपक प्रकाश और रोहतास जिले के डालमियानगर निवासी राजेश नारायण वर्मा हैं।
दोनों ने कोईलवर प्रखंड के नरही गांव में सेब की बागवानी के साथ मछली पालन शुरू किया है। मछली पालन से सालाना 15 लाख की आमदनी होगी जबकि सेब की बागवानी से करीब 8 लाख की कमाई का अनुमान है।
इस तरह दोनों साथी कुल मिलाकर एक साल में करीब 23 लाख रुपए की कमाई करेंगे। इससे इन्होंने खुद के लिए तो रोजगार के नए मौके बनाए ही हैं, अन्य युवाओं के लिए भी आइडल बन गए हैं।
इंटरनेट से सीखकर शुरू की सेब की खेती
फिलहाल दीपक प्रकाश सेब की खेती कर रहे हैं। इससे पहले शुरुआत उन्होंने रेड लेडी ताइवान पपीता के पेड़ों से की थी, लेकिन सफलता नहीं मिली। फिर इंटरनेट और यूट्यूब का सहारा लिया।
वहां से जानकारी लेकर पहले सेव के हरिमन 99 प्रजाति के 30 पौधे लगाए। बाद में दो बीघे में 225 और पौधे लगाए। बताया कि इसमें जैविक खाद का प्रयोग कर रहे हैं।
दीपक के अनुसार हिमाचल और कश्मीर में होने वाला सेव ठंड के समय होता है। हरिमन 99 पौधे 48 डिग्री तक तापमान सह सकता है। यह जून माह में तैयार हो जाएगा।
इससे सीजन से पहले ही भोजपुर समेत पूरे बिहार के लोगों को कम दाम में अच्छा सेब खाने के लिए मिलेगा। सेब की यह प्रजाति साल में दो बार फसल देगी। अनुमान है कि एक सीजन में करीब 4 लाख रुपए तक की आमदनी होगी।
दोनों 1994 बैच के दारोगा, STF और EOU तक में रहे
दीपक प्रकाश 53 साल के हैं। उनके पिता नंद किशोर सिंह गैलेंट्री अवॉर्ड से सम्मानित रिटायर्ड DSP थे। 1994 बैच में दारोगा में बहाली हुई थे। पहली पोस्टिंग खगड़िया में हुई।
फिर साहेबगंज (झारखंड) और मुजफ्फरपुर में रहे। मार्च 2008 में STF में आए। 2014 में इंस्पेक्टर बनने के बाद EOU में कार्यरत रहे। 2019 में अप्लाई किया तो 1 मई 2020 को VRS मिल गया। दीपक को एक बेटा और एक बेटी है। दोनों बेंगलुरु में जॉब कर रहे हैं।
दीपक के साथी 52 साल के राजेश नारायण वर्मा भी 1994 बैच के दारोगा थे। साल 2004 से 2011 तक STF में रहे। 2013 में इंस्पेक्टर में प्रोमोशन के बाद पटना के श्रीकृष्णापुरी और कदमकुआं थानों में रहे। इसके बाद EOU में आए और 2020 में VRS ले लिया।
राजेश वर्मा करा रहे मछली पालन
इसी जगह राजेश नारायण वर्मा मछली पालन का काम कर रहे हैं। उनके साथी आशीष ने बताया कि इसमें प्रति किलों 40 रूपए का प्रॉफिट है।
एक तालाब में रोहू मछलियों के 17 हजार बीज डाले गए हैं, जो 3-4 महीनों में तैयार हो जाएंगी। एक मछली का वजन सवा से डेढ़ किलो तक होता है।
इनके मछली की बाजार में कीमत 130 रूपए है, जबकि आंध्रा से आने वाली मछली 160 रुपए प्रति किलो मिलती है। आशीष का कहना है कि वो हर 4 माह में करीब 5 लाख रुपए का कारोबार कर रहे हैं।
हम लोग विशेष ध्यान दे रहे हैं कि एक साल में दो फसल लें। इनकी विधि से समय की बचत होगी और मुनाफा डबल हो जाएगा।
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