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ननद भौजाई के कमाल से देशभर में फेमस हुए मिथिला के ‘JhaJi’, पढ़िए इनके ब्रांड बनने की कहानी

बिहार के मिथिलांचल में ‘झाजी अचार’ बड़ा ब्रांड बनकर उभर रहा है। ननद कल्पना झा और भाभी उमा झा ने जून 2021 में ऐसे समय में ‘झाजी अचार’ के कारोबार को शुरू किया था जब देश में कोरोना का ..संकट था। लोगों का रोजी-रोजगार छूट रहा था और मजदूरों के सामने भुखमरी जैसी स्थिति थी। ऐसे में ननदा-भाभी की जोड़ी ने अचार बनाने के अपने शौक (Sister in laws jha ji pickle in Darbhanga) को व्यवसाय में बदल दिया। इन दो महिलाओं के जुनून ने मिथिला को एक और पहचान दे दी है- पढ़ें………

मिथिला की बड़ी पहचान मछली, पान, मखाना और मधुबनी पेंटिंग भले ही हो, लेकिन अब इसकी एक नई पहचान दरभंगा का झा जी अचार (jhaji Online Pickle business) बन गया है।

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दरभंगा शहर की ननद-भाभी की जोड़ी ने बेहद कम समय में अपने अचार के इस ब्रांड को दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू जैसे महानगरों और कई बड़े शहरों तक पहुंचा दिया है।

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इनके कारखाने में आम, नींबू, इमली, आंवला, मिर्ची और लहसुन जैसे कुल 24 किस्म के अचार बनते हैं। जिनकी पैकिंग 250 ग्राम में होती है और कीमत अधिकतम 299 रुपये तक है।

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Sister-in-laws pair is earning millions from conduct
ननद भाभी की जोड़ी आचार से कर रही लाखों की कमाई

झा जी अचार के ब्रांड बनने की कहानी

आज ‘झा जी’ अचार एक मशहूर ब्रांड बन चुका है। ननद कल्पना झा और भाभी उमा झा (Kalpana Jha and Uma Jha) की जोड़ी ने पीएम नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ (Narendra Modi Vocal For Local) और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर दिखाया है।

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ननद कल्पना झा बताती हैं कि वे शुरू से ही अचार बनाने की शौकीन रही हैं। उनके बनाए अचार रिश्तेदार और मेहमान बहुत पसंद करते हैं। पर्व-त्योहार में उनसे मिठाइयों के बदले अचार की डिमांड की जाती थी।

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Kalpana Jha and Uma Jha of Darbhanga are starting Jha ji pickle
झा जी अचार का स्टार्टअप कर रही दरभंगा की कल्पना झा और उमा झा

उन्होंने बताया कि उनके पति एक आइएएस अधिकारी रहे हैं। इस माध्यम से देश के कई इलाकों में उन्हें घूमने का मौका मिला है। हर जगह उनके बनाए अचार की तारीफ होती थी।

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उन्होंने बताया कि पति पिछले साल सेवानिवृत्त हुए तो वे बिल्कुल फ्री हो गईं। ऐसे में उन्होंने अपने खाली समय को उपयोगी बनाने की सोची और कोई बिजनेस करने का फैसला किया।

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जब शौक को बनाया व्यवसाय

ननद-भाभी ने बताया कि बहुत सोच-समझ कर उन्होंने अपने अचार बनाने के शौक को व्यवसाय ( JhaJi Pickle in Darbhanga ) बनाने का फैसला किया।

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ननद कल्पना झा ने बताया कि वे और उनकी अपनी भाभी उमा झा दोनों वर्षों से सहेलियां हैं। ऐसे में उन्होंने अचार के व्यवसाय का आइडिया भाभी को बताया। दोनों ने इस पर सहमति बना कर काम को शुरू किया।

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Jha Ji Achar has also arrived in Shark Tank India
शार्क टैंक इंडिया में भी आ चूका है ‘झा जी आचार’

जून 2021 में इसकी शुरूआत की थी। आज कुछ महीने के भीतर ही उनका ‘झा जी’ ब्रांड अचार भारत के कई शहरों में पहुंच चुका है। अब कोशिश है कि उनका ‘झा जी’ अचार ब्रांड पूरी दुनिया में फैले।

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24 लोगों को दिया रोजगार

वहीं, भाभी उमा झा ने बताया कि वे पेशे से एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षिका हैं। उनकी ननद कल्पना झा ने जब अचार का व्यवसाय शुरू करने का निर्णय लिया तो उन्हें बेहद पसंद आया।

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उन्होंने कहा कि करीब 20 लाख रुपये की लागत से उन दोनों ने ‘झा जी’ अचार ब्रांड की शुरूआत की थी। कोरोना काल में जब लोगों के रोजी-रोजगार छूट गए थे तो उन्होंने ये व्यवसाय शुरू किया।

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Kalpana and Uma have given employment to about a dozen women.
कल्पना और उमा ने करीब एक दर्जन महिलाओं को रोजगार दिया है।

इसमें कुल 24 लोगों को रोजगार दिया गया है, जिनमें 12 वैसी महिलाएं हैं जो लोगों के घरों में चौका-बर्तन और झाड़ू-पोंछा का काम करती थीं।

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यही नहीं उन महिलाओं के पति भी बेरोजगार हो गए। ऐसे में उन लोगों ने इन सभी को अपने कारखाने से जोड़ा। इन्हें 10-12 हजार रुपये हर महीने सैलेरी दी जाती है।

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इससे इनकी आर्थिक स्थिति सुधरी है। उन्होंने कहा कि वे लोग ऑनलाइन ऑर्डर लेकर पूरे भारत में कूरियर के माध्यम से अचार पहुंचाते हैं। अब उनका सपना ‘झा जी’ अचार को भारत से बाहर विदेशों तक पहुंचाने का है।

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गांव में ही मिला रोजगार

‘झा जी’ अचार कारखाने में काम करनेवाली थलवारा गांव की एक महिला कामगार चुकिया देवी ने बताया कि वह पहले लोगों के घरों में झाड़ू-पोछा लगाने का काम करती थीं। हजार-पांच सौ रुपये कमाती थीं, जिससे मुश्किल से काम चलता था।

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कोरोना के समय वह काम भी छूट गया तो घर की हालत बेहद खराब हो गई। उसके पति और बेटे का रोजगार भी छूट गया। ऐसे में कल्पना और उमा जी के कारखाने में उन्हें रोजगार मिला।

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यहां से वह 10 हजार रुपये हर महीने कमाती हैं। पति और बेटे को भी इसमें रोजगार मिल गया है। उसने बताया कि अब घर की हालत सुधर गई है। वह अपने साथ 10 अन्य महिलाओं को भी यहां लाकर रोजगार दिलवा चुकी हैं।

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Due to Jha ji pickle, people got employment in the village itself.
झा जी अचार के कारण लोगों को गांव में ही मिला रोजगार

वहीं, ‘झा जी’ अचार कारखाने के एक अन्य कामगार मनीष कुमार ने कहा कि ये उसकी पहली नौकरी है। यहां से उसे 10 हजार रुपये हर महीने मिलते हैं।

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उसने बताया कि दूसरे राज्यों में जाकर 10-15 हजार रुपये कमाने से अच्छा है कि अपने गांव-घर में रोजगार मिले। उसने बताया कि कल्पना और उमा झा के कारखाने में उसे परिवार जैसा माहौल मिलता है।

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अगर बिहार के गांवों और छोटे शहरों में रोजगार मिले तो लोग परदेस कमाने क्यों जाएं? कल्पना जी और उमा जी जैसे छोटे-छोटे कारखाने खोल कर यहां लोगों को रोजगार देना चाहिए।

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आज सभी राज्य में पारम्परिक बिहारी तरीके से तैयार अचार की मांग

कल्पना कहती हैं, ‘प्रारंभ से ही अन्य महिलाओं की तरह घर में अचार में बनाती थी. पति भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे। उनके रिटायर करने के बाद घर में अपने लिए समय निकालने को सोची और दिमाग में व्यवसाय करने का विचार में आया तो अचार के विषय में सोचा। इसके बाद इसकी तैयारी शुरू कर दी।’

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उन्होंने बताया कि पहले 10 तरह के अचार के साथ काम की शुरूआत की थी और आज उनके पास 15 तरह के अचार हैं। जिनमें पांच तरह के आम के अचार, लहसुन, हरी मिर्च, गोभी, इमली की चटनी शामिल है।

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15 types of pickles are prepared in Jha Ji Achar
झा जी आचार में 15 तरह के अचार का होता है निर्माण

उन्होंने बताया शुरू में तो कई परेशानियां आईं लेकिन बाद में कम होती चली गईं। इस काम में भाभी उमा झा ने भी साथ दिया। इसके बाद अक्टूबर 2020 में बिजनेस के लिए आवेदन दिया था।

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जिसके बाद कई औपचारिकता को पूरा करने के बाद जून, 2021 में ‘झा जी’ स्टोर की ऑनलाइन शुरूआत हो गई। कल्पना के बेटे मयंक ने ऑनलाइन मार्केटिंग आदि का काम संभाला।

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इसके बाद तो काम निकल पड़ा। दिन प्रतिदिन ऑनलाइन आर्डर की संख्या लगातार बढ़ती गई। शुरुआत में 250 किलोग्राम के जार में अचार की पैकिंग कर आपूर्ति की जाती थी, लेकिन अब 250 और 500 ग्राम जार में अचार की आपूर्ति की जा रही है।

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उन्होंने बताया कि इसमें शुद्ध चीजों को मिलाया जाता है। उमा बताती हैं, ‘झा जी अचार की खूबी इसका पारंपरिक तरीके से तैयार किया जाना है।

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jha ji aachar
झा जी आचार

इसमें क्षेत्रीयता की खुशबू होती है। पारम्परिक बिहारी तरीके से तैयार अचार की मांग आज सभी राज्य में है।’ वे बताती हैं कि जब कल्पना ने इस व्यवसाय में जुड़ने की बात कही।

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