झारखंड के गढ़वा में मेढ़क-मेढ़की की अनोखी शादी कराई गई। इस शादी में गांववाले बाराती बने। शादी धूमधाम से संपन्न कराई गई। दरअसल साल 1966 के अकाल को आज तक गांववाले नहीं भूल पाए हैं। फिर से वह अकाल न दोहराए इसलिए गांववाले तब से हर साल मेढ़क-मेढ़की की शादी कराते हैं।
गढ़वा के मेराल प्रखंड के बाना गांव में एक बार फिर अनोखी शादी कराई गई। गांव में बने दुर्गा मंडप को सजाया गया। महिला, पुरुष, बच्चे सभी बाराती बने। मेढ़क दूल्हे और मेढ़की दुल्हन की अनोखी शादी पूरे विधि-विधान से संपन्न कराई गई।
बात दरअसल ये है कि, इस गांव के लोग हर वर्ष मेढ़क-मेढ़की की शादी कराते हैं। गांव के जमींदार महेश्वर नाथ ने साल 1966 में इसकी शुरुआत की। तब से ये आजतक जारी है। साल 1966 में इलाके में अकाल पड़ा था। अकाल फिर से न पड़े, इसलिये तब से टोटके के रूप में हर साल यह परंपरा चली आ रही है। ग्रामीण कहते हैं कि इलाके में दोबारा अकाल नहीं पड़े, इसलिए इस तरह का आयोजन ग्रामीण धूमधाम से करते हैं। नाच-गान सब होता है। मुखिया विजय सिंह ने बताया कि हमारे पूर्वजों ने इसकी शरुआत की थी। तब से ये परंपरा चली आ रही है। इससे गांव पर किसी प्रकार की मुसीबत नहीं आती है।
input – daily bihar
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