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छोटा बच्चा जान के न कोई आंख दिखा न रे..बिहार में सच साबित हो रहा फिल्म ‘मासूम’ का ये गीत

आरा: ‘छोटा बच्चा जान के मुझसे न टकराना रे’ वर्ष 1996 में रिलीज हुई फिल्म ‘मासूम’ का यह गाना अब समाज की हकीकत बयां कर रहा है। बड़े और जघन्य अपराधों में जिस तरह से नाबालिकों की संलिप्तता उजागर हो रही है, उससे पुलिस भी सकते में है। 16 से 17 साल के लड़के जिस तरह से गोलीबारी, दुष्कर्म, हत्या और लूट जैसी बड़ी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं, उससे बदलते समाज पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। बड़ी बात यह है कि प्रतिष्ठित और बड़े निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे अपराध के दलदल में समा रहे हैं और अपना भविष्य बर्बाद कर रहे हैं। हाल में जिले में घटित बड़ी घटनाओं में नाबालिकों की संलिप्तता पुलिस और समाज की चिता बढ़ाने वाली है। क्योंकि बड़े अपराध में शामिल लड़के पुलिस को चुनौती देने लगे हैं।

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जिले में बढ़ रहे जुबेनाइल के मामले, 115 बाल बंदी है

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बंदपुलिस सूत्रों का कहना है कि कम उम्र में अपराध की दुनिया में कदम रखने वाले कई अब बालिग होने के बाद भी कानून-व्यवस्था को चुनौती दे रहे हैं। समय-समय पर तस्वीरें भी वायरल होती रही हैं जिसमें नाबालिक पिस्टल लिए नजर आ रहे है। राह भटक छोटी-मोटी गलतियां कर किशोर न्याय परिषद के कानून में फंसने वाला मासूम बाल पर्यवेक्षण गृह से बाहर आने तक शातिर बन चुके होते हैं। जिले में ऐसे कई कुख्यात अपराधी हैं, जो पहले अवयस्क दोषी बने और बाद में कुख्यात अपराधी बन समाज के लिए सिरदर्द बन चुके हैं। दरअसल, जिले में जुबेनाइल के मामले बढ़ रहे हैं। सुनवाई के इंतजार में बच्चे कई दिनों तक कैद में रह जाते हैं और सुधरने के बजाय बिगड़ जाते हैं। वर्तमान में आरा बाल पर्यवेक्षण गृह में करीब 115 बंद है।

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केस स्टडी-01

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28 जनवरी 2022 को चरपोखरी थाना क्षेत्र अन्तर्गत आरा-सासाराम स्टेट हाइवे पर बरनी मोड़ के समीप शादी समारोह से वापस लौट रही नर्तकियों के सूमो विक्टा गाड़ी पर बाइक सवार बदमाशों ने अंधाधुंध फायङ्क्षरग की थी। मामले में दो पकड़े गए थे। सभी कम उम्र के ही लड़के थे।

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केस स्टडी-02

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11 मई 2022 को इमादपुर थाना क्षेत्र के एक गांव में घर से बैंक जाने के लिए निकली एक किशोरी से सामूहिक दुष्कर्म किए जाने की घटना घटित हुई थी। इसे लेकर पीडि़त किशोरी ने आरा के महिला थाना में चार लोगों के विरुद्ध नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसके आधार पर पुलिस ने तीन नाबालिक आरोपितों को पकड़ा था। बाद में उन्हें पुलिस अभिरक्षा में बाल पर्यवेक्षण गृह भेजा गया था।

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केस स्टडी-03

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28 मई 2022 की रात मुफस्सिल थाना क्षेत्र अंतर्गत गंगहर गांव में एक सिरफरे आशिक ने अपनी प्रेमिका पर तेजाब फेंक दिया। आरोपित कम उम्र का था जो बलुआं गांव का निवासी था।

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केस स्टडी-04

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08 जून 2022 को कोईलवर थाना क्षेत्र के बाघ- मंझौवा गांव में देर रात बरात में नाच के दौरान हर्ष फायङ्क्षरग में सोनम सेन नामक हरियाणा कर एक नर्तकी को गोली लग गई थी। इसे लेकर पांच के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। जिसमें एक को पुलिस ने पकड़ा, जो कम उम्र का है।

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क्या कहते हैं अधिवक्ता

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बड़े अपराधी कर रहे बच्चों का इस्तेमालआरा सिविल कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सत्येन्द्र ङ्क्षसह दारा कहते हैं कि पेशेवर अपराधी किशोर उम्र वर्ग को सुपर हीरो बनने का ख्वाब दिखा अपने इशारे पर नचा रहे हैं। नाबालिग कुछ ऐसा करना चाहते हैं, जिससे उनका समूह उन पर फोकस कर सके। इसी वजह से अपराधियों की संगत में आते हैं और उनके इशारे पर घटनाओं को अंजाम देते हैं।

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क्या कहते हैं मनोचिकित्सक मनोचिकित्सक

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डा. अमित कहते हैं कि कम उम्र के लड़कों का भटकाव के पीछे समाजिक परिवेश के साथ-साथ नशे की बढ़ती लत एवं इंटरनेट मीडिया है। ऐसे में अभिभावकों को खुद ध्यान देने की जरूरत है।

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बाल अपराध के ये भी हो सकते हैं कारण

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– माता-पिता का तिरस्कार

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– छोटी-छोटी गलतियों को नजरअंदाज करना

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– भौतिक वंशानुक्रमण

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– अपराधी भाई-बहन

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– परिवार की आर्थिक दशा

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– मनोवैज्ञानिक कारण

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– चलचित्र व अश्लील साहित्य

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बच्चों में ऐसे रोका जा सकता है भटकाव

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– सात-आठ वर्ष की उम्र से ही बच्चों की हर गतिविधियों को अभिभावकों को गंभीरता से लेने की जरूरत है

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– पारिवारिक माहौल, परिवेश, व्यसन का खास ख्याल रखना चाहिए।

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– बच्चे कुंठाग्रस्त होकर भी गलत संगति में पड़ अपराध की राह पकड़ते हैं।

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-बच्चों की गतिविधियों पर हो पैनी नजर, उनके साथियों के आचरण की जानकारी लेते रहें

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-छोटी-मोटी गलती को नजरअंदाज करने के बजाए बच्चे को उसके दुष्परिणाम बताएं

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-बच्चों में स्नेह के साथ सदगुणों को आत्मसात कराया जाए

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-इसके अलावा मनोचिकित्सक, व्यवहार चिकित्सा का भी सहारा लिया जा सकता है।

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