पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के समय अपने कार्य के प्रति सजगता दिखाकर सुर्खियों में बनीं आईएएस अफसर मुक्ता आर्य को इलेक्शन कमीशन ने सम्मानित किया है। शांतिपूर्ण और व्यवस्थित तरीके से वोटिंग हो सकें इसके लिए पिता के निधन के एक दिन बाद ही मुक्ता ड्यूटी पर तैनात थी। तत्कालीन मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय ने भी मुक्ता के इस साहसिक कदम की सराहना की थी।
बीते साल जब पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव हो रहे थे तब मुक्ता आर्य हावड़ा की डीएम और जिला निर्वाचन अधिकारी थीं। हावड़ा में कल वोटिंग होने थे उससे एक रात पूर्व ही मुक्ता के पिता का कार्डिऐक अरेस्ट से निधन हो गया। इस मुश्किल वक्त में आईएएस अफसर ने वोटिंग होने तक अपने पिता के पार्थिव शरीर को हॉस्पिटल के शवगृह में रखने का फैसला लिया।
मुक्ता के पिता राधेश्याम आर्य दिल्ली के रहने वाले हैं। वे राष्ट्रीय राजधानी में श्रम आयोग के आयुक्त थे। इलेक्शन से पूर्व अपनी बेटी से मिलने आए थे। राज्य निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी बताते हैं कि हमने उन्हें ब्रेक लेने को कहा था लेकिन वह चुनाव व्यवस्थित ढंग से कराने के लिए दृढ़संकल्पित थीं। इतने बड़े निजी क्षति के बावजूद उन्होंने अपने चुनावी ड्यूटी पर मुस्तैद होकर काम को बखूबी अंजाम दिया।
अधिकारी के मुताबिक, ‘रात तक मुक्ता ने ब्रेक नहीं लिया और बेहतरीन तरीके से चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराई। यह काबिले तारीफ है और उनके पेशेवर समर्पण को शब्दों में दर्शाना मुश्किल है।’
सूत्रों के अनुसार, मुक्ता के पिता हॉस्पिटल में भर्ती है और उनकी हालत गंभीर है इस बात का पता लगते ही तत्कालीन मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय ने एडीएम को चुनावी कार्य का जिम्मा संभालने के निर्देश दिए थे। हावड़ा में मतदान की जिम्मेदारी मुक्ता को सौंपी गई थी इस बाबत चुनाव आयोग को सूचित भी कर दिया गया था। अगले दिन दफ्तर में मुक्ता को देख सब हैरत में रह गए। मुक्ता ने मतदान की प्रक्रिया शांतिपूर्ण और व्यवस्थित ढंग से संपन्न कराने के बाद ही छुट्टी लिया। मंगलवार को चुनाव आयोग ने मुक्ता को बेस्ट इलेक्टोरल प्रैक्टिसेज अवॉर्ड से नवाजा है।
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