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उद्घाटन के पहले ही बिगड़ी एक्सप्रेस-वे की सूरत, 8346 करोड़ रुपये की लागत वाली सड़क बरसात में टूटी

सरकारी काम का नाम सुनते ही सबके दिमाग में भ्रष्टाचार और ख़राब गुणवत्ता की बात आ जाती है। हाल ही में एक ऐसी खबर सामने आई है जिसने इस सोच को और मजबूती दे दी। दरअसल 8346 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे का गुणवत्ता पोल मानसून की बारिश में उजागर हो गई। 90 किमी लंबे हाईवे पर जगह-जगह मिट्टी बह चुकी है।

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Reबीच-बीच में सड़कें भी टूट गई हैं। एक्सप्रेसवे केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के ड्रीम प्रोजेक्ट का हिस्सा है।आपको बता दें कि एनएचएआई के अधिकारी इस बारे में कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं। मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे पर सड़क की हालत हर तरफ जर्जर है। मेरठ से लेकर दिल्ली तक सड़कें समय-समय पर या तो खराब हो जाती हैं या बह जाती हैं। गौरतलब है कि बारिश में पानी के बहाव के दबाव में सब कुछ टूट जाता है। एक्सप्रेस-वे पर बने अधिकांश सीमेंट के नाले मिट्टी की दरारों के कारण बह गए हैं। आधुनिकता की अनूठी मिसाल के तौर पर पहचाने जाने वाले इस एक्सप्रेस-वे की तमाम खामियां इस बारिश में उजागर हो गई हैं।

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मौसमी बारिश ने हाईटेक मशीनों से बनी एक्सप्रेस वैन की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।आपको बता दें कि एक्सप्रेस-वे को और नुकसान न हो इसके लिए जीआर इंफ्रा के कर्मचारी अब एक्सप्रेस-वे की मरम्मत में लगे हैं। परतापुर स्थित टोल प्लाजा के पास दो जगहों पर सड़क की एक गली है जो पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है। दोनों जगहों पर कई मीटर लंबी सड़क करीब पांच फीट नीचे उतरती है। इससे एक्सप्रेस-वे पर लगे तार भी टूट गए। रेलिंग भी क्षतिग्रस्त है। इन दोनों जगहों पर बारिश का पानी भर गया। जिससे हाईवे के किनारे मिट्टी में दरारें आ गई। साथ ही सड़क भी टूट गई है।अब एक्सप्रेस-वे के बगल में डूबी मिट्टी को जेसीबी से भरा जा रहा है।

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एक्सप्रेस-वे पर सड़कें और खाई गिरने का कारण नीचे की जमीन का खोखला होना बताया जा रहा है। साथ ही जमीन खोखली होने के कारण सड़क भी टूट गई। यही हाल दुहाई का है। इस एक्सप्रेस-वे पर हर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर पांच से सात फीट कीचड़ और जर्जर सड़क साफ देखी जा सकती है। किसी भी दुर्घटना को रोकने के लिए इन जगहों पर बैरिकेडिंग की गई है।

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input – daily bihar

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