गया गया से 20 किलोमीटर दूर एनएच- 83 के किनारे मनसा बिगहा में एक ऐसा सरकारी स्कूल है जिसमें हर रोज सिर्फ एक छात्रा पढ़ने आती है। पहली क्लास की छात्रा जाह्नवी को पढ़ाने के लिए हर रोज 2 शिक्षक भी पहुंचते हैं और मिड डे मील योजना के तहत रसोइया उसके लिए भोजन भी बनाती है।
दैनिक भास्कर में प्रकाशित धर्मेंद्र कुमार की रिपोर्ट के अनुसार ऐसा नहीं है कि 35 परिवारों वाली मनसा बिगहा बस्ती के अन्य बच्चे पढ़ते नहीं हैं। अनुमंडल मुख्यालय खिजरसराय के पास होने के कारण बच्चे अन्य स्कूलों में चले जाते हैं। खिजरसराय की प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी गायत्री देवी कहती हैं कि अभिभावक अपने बच्चों को इस स्कूल में नहीं भेजते हैं तो इसमें क्या किया जा सकता है? वरीय अधिकारियों के निर्देश के मुताबिक स्कूल चलाया जा रहा है। आगे भी जैसा निर्देश होगा किया जाएगा। इस स्कूल को अन्य स्कूल में सामंजित करने का प्रस्ताव दिया जा सकता है।
मनसा बिगहा प्राइमरी स्कूल के प्रधानाध्यापक सत्येंद्र प्रसाद कहते हैं कि इसी स्कूल में नामांकित अन्य छात्रों के अभिभावकों से संपर्क कर उन्हें पढ़ने भेजने का अनुरोध किया जाता है। पर वे दिलचस्पी नहीं लेते हैं। जिन छात्र-छात्राओं की उपस्थिति मानक से कम होती है उन्हें पोशाक या छात्रवृत्ति योजना का लाभ से वंचित रखा जाएगा। इस स्कूल में एक नियोजित शिक्षिका प्रियंका कुमारी हैं। हम दोनों नियमित रूप से स्कूल आते हैं और जाह्नवी को पढ़ाते हैं।
अकेली बच्ची के लिए मिड डे मील भी बनता है
चार कमरों वाले स्कूल की दो मंजिली बिल्डिंग में पढ़ने आने वाली छात्रा सिर्फ एक है। स्कूल में शौचालय, चापाकल, किचन शेड के अलावा एक अतिरिक्त क्लास रूम भी है, नहीं हैं तो सिर्फ यहां पढ़ने वाले छात्र। स्कूल के प्रधानाध्यापक सत्येंद्र प्रसाद का कहना है कि यह इस विद्यालय का दुर्भाग्य है कि यहां मात्र नौ छात्र नामांकित हैं, जिनमें से प्रथम वर्ग में नामांकित जाह्नवी कुमारी ही केवल यहां पढ़ने आती है।यहां अकेली बच्ची के लिए मिड डे मील भी बनता है।
दूसरी कक्षा में नहीं है कोई नामांकन
पांचवी तक कक्षा वाले इस स्कूल की पहली व पांचवीं कक्षा में दो-दो, तीसरी में एक और चौथी में 4 छात्र-छात्राओं का नामांकन है। दूसरी कक्षा में कोई भी नामांकन नहीं है। वहीं पास के एक मिडिल स्कूल केनी में ढाई सौ बच्चे पढ़ते हैं।
प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को भेज देते हैं लोग
प्रधानाध्यापक ज्यादा छात्रों के नामांकन नहीं हो पाने की वजह जो बताते हैं, वह सरकारी स्कूल के प्रति लोगों की कुछ अलग ही सोच की ओर इशारा करती है। प्रधानाध्यापक ने बताया कि गांव के लगभग सभी परिवार सम्पन्न हैं। गांव से खिजरसराय बाजार की दूरी महज एक किमी है। ऐसे में संपन्न वर्ग के लोग अपने बच्चों को निजी विद्यालयों में पढ़ाने के लिए भेज देते हैं।
2015 में भी मात्र 12 छात्र इस स्कूल में नामांकित थे
प्रधानाध्यापक सत्येंद्र प्रसाद ने बताया कि वर्ष 2015 में भी मात्र 12 छात्र नामांकित थे। पिछले दिनों प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी से इस विद्यालय को पास के किसी दूसरे विद्यालय में सामंजन (इमर्ज) करने की मांग की थी। अभी तक इस ओर कोई पहल नहीं हुई।
input – daily bihar
Comment here