आमतौर पर सरकारी स्कूल का नाम लेते ही खंडहरनुमा और सुविधाविहीन भवन की छवि सामने आती है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे स्कूल की कहानी तस्वीरों के जरिये बताने जा रहे हैं, जो खूबसूरती और सुविधाओं के मामले में अच्छे-अच्छे कॉलेजों को मात देता है। यह रोहतास के नक्सल प्रभावित तिलौथू में स्थित है।
सरकारी स्कूल की बात आती है, तो आमतौर पर सबके जेहन में खंडहरनुमा टूटे-फूटे जर्जर भवन की छवि सामने आती है। रोहतास जिला के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में एक ऐसा स्कूल है जो खूबसूरती और सुविधाओं में स्कूलों के साथ ही कॉलेज कैंपस को भी मात देता है।
स्कूल के कैंपस में प्रवेश करते ही आपको ऐसा लगेगा जैसे किसी विश्वविद्यालय या फिर किसी बड़े प्राइवेट स्कूल के परिसर में प्रवेश कर रहे हों।

संस्कृत का शिक्षक न होने के बावजूद यहां के बच्चे गीता, उपनिषद तथा वेदों का अध्ययन करते हैं। यह स्कूल रोहतास के तिलौथू में स्थित है।
विद्यालय का सुंदर कैंपस लोगों को अपनी ओर करता है आकर्षित
रोहतास के सुदूरवर्ती तिलौथू प्रखंड में स्थित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय का सुंदर कैंपस लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। कतारबद्ध सुंदर-सुंदर पेड़ और क्यारियों में लगे फूल के पौधे स्कूल की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं।

सन 1932 में स्थापित यह विद्यालय 90 साल का हो चुका है, लेकिन आज भी इसके किलानुमा भवन इसकी खासियत है। जानकार बताते हैं कि कभी इस भवन में अंग्रेजों की कचहरी लगती थी। कैमूर पहाड़ी के तलहटी में नक्सल प्रभावित इलाके का यह विद्यालय अपने आप में अनूठा है।

विद्यालय में ढाई हजार से अधिक बच्चे
शिक्षा की बात करें तो इस उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में ढाई हजार से अधिक बच्चे हैं। खास बात यह है कि यहां वेद, उपनिषद तथा गीता की भी पढ़ाई होती है।
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स्कूल में सरकार द्वारा जब संस्कृत शिक्षक की बहाली नहीं की गई, तो स्कूल प्रबंधन ने निजी स्तर पर विद्यालय में संस्कृत के लिए एक टीचर रखा। यह शिक्षक बच्चों को वैदिक ज्ञान देते हैं।
स्कूल में कई शिक्षक सेवानिवृत्त, फिर भी लेते है कक्षा
इस स्कूल में कई शिक्षक ऐसे हैं जो सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इसके बावजूद वे प्रत्येक दिन बच्चों की कक्षा लेते हैं। यह शिक्षकों का समर्पण भाव है कि इस विद्यालय के बच्चे जिला में लगातार अव्वल रहते हैं।

स्कूल के प्राचार्य मैकू राम कहते हैं कि ऐसा सबके सहयोग से ही संभव है। आने वाले कुछ महीनों में इस विद्यालय का अपना स्विमिंग पूल होगा, जहां बच्चे तैराकी सीखेंगे। जिला मुख्यालय से दूर नक्सल प्रभावित इलाके में होने के बावजूद यह स्कूल पूरी तरह से व्यवस्थित है।