हमारे पूर्वज हिंदू थे। उन्हें उस समय जबरन मुसलमान बनाया गया था। कारण चाहे जो भी रहा हो हम नहीं जानते लेकिन सच यही है कि हम हिंदू थे और हैं। इसलिए आज हम लोगों ने सामुहिक रूप से घर वापसी करने का फैसला किया है : मध्य प्रदेश के रतलाम के आंबा में लगभग दो दर्जन लोगों ने हिंदू धर्म अपनाया है। दीक्षा लेने वाले लोगों का कहना है कि वो कभी मुस्लिम थे ही नहीं। वे घुमक्कड़ प्रजाति के लोग हैं, जो मांग कर खाते थे। वहीं दीक्षा दिलाने में शामिल एक महाराज का कहना है कि ये सभी शिवपुराण सुनने के लिए आए थे। यहां आकर उनका सनातन धर्म जागा और उन्होंने कहा कि वे उसी धर्म में वापसी करना चाहते हैं जिसमें उनके पूर्वज थे। यहां सारे समाज के सामने इन्होंने सनातन धर्म को स्वीकार किया है।
सनातन धर्म अपनाने वाले लोगों का कहना है की हम कभी मस्जिद नहीं गए। कभी नमाज नहीं पढ़ी। ना ही मुस्लिम धर्म के अन्य संस्कारों को अपनाया। धर्म परिवर्तन करने वाली एक महिला का कहना है कि मेरा नाम पहले भी आशा था और अब भी यही है। हमारे बाप-दाद हिंदू थे, हम केवल मुसलमान नाम से मांग कर खाते थे। हम सदियों से देवी-देवता पूजते आए हैं। हमें नमाज, कलमा-वलमा कुछ नहीं आता है। धर्म परिवर्तन करने वालों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।
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