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सिर्फ एक साल में हासिल की 4 सरकारी नौकरी, फिर शादी के 30वें दिन BPSC क्लियर कर गयी बहु

BPSC Toppers Success Story: बिहार लोक सेवा आयोग ने 66वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा का फाइनल रिजल्ट घोषित कर दिया है। इस परीक्षा में 685 अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए हैं। कुल 689 पदों पर भर्ती के लिए यह परीक्षा ली गई थी।

सपने तो सभी देखते हैं लेकिन कम ही लोग होते हैं जो अपने सपने का साकार करते है। बिहार के हाजीपुर की रुचिला रानी उन्हीं लोगो में से एक है, जिसने ना सिर्फ अफसर बनने का सपना देखा बल्कि आज उस सपने को साकार भी कर दिया है।

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एक साल में चार सरकारी नौकरी की परीक्षा पास करने वाली रुचिला ने शादी का एक महीना पूरा होते ही बीपीएससी पास कर जिले का नाम रौशन कर दिया है, जिसके बाद लोग कहने लगे हैं कि अफसर बिटिया चली ससुराल।

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सिर्फ एक साल में हासिल की चार सरकारी नौकरी

ग्रामीण परिवेश और मध्यम वर्गीय परिवार से आने वाली रुचिला ने अपनी मेहनत और कठिन परिश्रम से ना सिर्फ एक साल में चार सरकारी नौकरी हासिल की बल्कि शादी के तीसवें दिन ही बीपीएससी की परीक्षा पास कर अधिकारी बन गई हैं।

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जिसके बाद उसके मायके से लेकर ससुराल तक जश्न का माहौल है। मायके में घरवलों के साथ-साथ गांव के लोग भी अपनी इलाके की बेटी की इस सफलता पर उत्साहित हैं तो पति को भी अपनी नई नवेली दुल्हन पर गर्व हो रहा है।

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सेल्फ स्टडी से बीपीएससी की परीक्षा में 215वां रैंक

बीपीएससी की परीक्षा में 215वां रैंक पाने वाली रुचिला ने घर पर ही रहकर सेल्फ स्टडी से यह मुकाम हासिल की है। इसके पीछे उसके माता पिता का बहुत बड़ा योगदान है।

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Ruchila, who got 215th rank in BPSC exam
बीपीएससी की परीक्षा में 215वां रैंक पाने वाली रुचिला

पेशे से सरकारी शिक्षक उसके पिता ने पाई-पाई जोड़कर अपनी बेटी को पढ़ाया और समाज की परवाह किये बगैर अपनी बेटी को इतना काबिल बनाया कि आज बेटी के मायके से लेकर ससुराल तक उत्साह है।

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मां ने आज तक नहीं पहना अपने पैरों में पायल

रूचिला की मां ने अपनी बेटी को उन लोगो की नजरों से छिपाकर रखा जो लोग बेटियों को घर मे बिठाने पर ताना मारने का काम करते हैं।

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मां ने तो आज तक अपने पैरों में पायल तक नहीं पहना क्योंकि पायल की आवाज बेटी की पढ़ाई में खलल डाल सकता था लेकिन आज बेटी की सफलता की गूंज पूरे जिले में सुनाई दे रही है।

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बीपीएससी क्लियर कर प्रोबेशनरी ऑफिसर बनने से पहले रूचिला ने मद्य निषेध विभाग, बिहार पुलिस के दारोगा, रेलवे के अलावा फरवरी महीने में हुए बिहार शिक्षक के नियोजन में भी अपनी जगह बनाई थी। लेकिन अंतत: सिविल सर्विस में जाने के जज्बे ने उसे बीपीएससी की परीक्षा भी पास करवा दी।

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