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श्रद्धांजलि : वाजपेयी ने बिहार की मैथिली को दिलाया सम्‍मान, हेमा मालिनी ने खोला था उनका एक राज

देश आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनकी पुण्‍यतिथि पर श्रद्धापूर्वक याद कर रहा है। उनकी स्‍मृतियां बिहार से भी जुड़ी रहीं हैं। वे अक्‍सर कहा करते थे- आप बिहारी तो मैं अटल बिहारी। ये अटल बिहारी वाजपेयी ही थे, जिन्‍होंने मैथिली को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कर उसे सम्‍मान दिलाया। उन्‍होंने सुशील कुमार मोदी को उनके विवाह के दिन सक्रिय राजनीति में आने का आफर दिया था। फिल्‍मों की बात करें तो वाजपेयी जब भी पटना आते थे, यहां के अशोक सिनेमा हाल में फिल्में देखते थे। वे हेमा मालिनी और दिलीप कुमार के फैन थे। खुद हेमा मालिनी ने वाजपेयी का यह राज खोला था कि उन्‍होंने उनकी (हेमा की) एक फिल्‍म 25 बार देखी थी।

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मैथिली को संविधान की आठवीं अनुसूची में दिया स्‍थान

अटल बिहारी वाजपेयी का बिहार से गहरा नाता रहा। बतौर प्रधानमंत्री उन्‍होंने बिहार के मिथिलांचल की जन भावना काे ध्‍यान में रखते हुए दिसंबर 2003 में मैथिली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का बड़ा फैसला लिया। मैथिली को यह सम्‍मान दिलाने का प्रस्‍ताव केंद्र सरकार के पास 23 वर्षों से लंबित पड़ा था। तत्‍कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर और डा. जगन्नाथ मिश्र ने इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेजा था। वाजपेयी जब प्रधानमंत्री बने, तब उनका ध्‍यान इस ओर गया।

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मिथिलांचल को जोड़ने को कोसी महासेतु का निर्माण

बाजपेयी ने मिथिलांचल के लिए एक और बड़ा काम किया। साल 1934 के विनाशकारी भूकंप के दाैरान मिथिलांचल के दरभंगा-मधुबनी और सहरसा-सुपौल अलग-अलग दो भागों में बंट गए थे। दरभंगा से सहरसा-सुपौल जाने के लिए जानकी एक्सप्रेस ट्रेन से रात भर का लंबा सफर करना पड़ता था। वाजपेयी ने दो भागों में बंटे मिथिलांचल के लिए कोसी महासेतु के निर्माण का फैसला लिया। इससे मिथिलांचल का एकीकरण हुआ। ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर के तहत बनी फोरलेन सड़क ने विकास के रास्ते भी खोल दिए।

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सुशील मोदी की शादी में आए, कहा- राजनीति में आइए

बिहार के राजनेताओं से संबंधों की बात करें तो वाजपेयी 13 अप्रैल 1986 को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वर्ततान राज्‍यसभा सांसद व तब के छात्र नेता सुशील कुमार मोदी की शादी में पटना आए थे। सुशील मोदी बताते हैं कि उन्‍होंने पोस्ट कार्ड भेजकर उन्‍हें निमंत्रण दिया था और वे आ गये। बकौल सुशील मोदी, तब वाजपेयी ने उन्‍हें सक्रिय राजनीति में आने का औपचारिक आफर दिया था।

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प्रतिभा को भांप कर प्रोत्‍साहन देते थे वाजपेयी

दरअसल, वाजपेयी प्रतिभा को भांप जाते थे। फिर, प्रोत्‍साहन देते थे। बिहार बीजेपी के नंदकिशोर यादव बताते हैं कि वाजपेयी से उनकी मुलाकात पटना के गांधी मैदान में एक जनसभा के दौरान हुई थी। तब नंदकिशोर यादव पटना के डिप्टी मेयर व बीजेपी जिलाध्यक्ष थे। तब वाजपेयी ने उन्‍हें परिश्रम करने और आगे बढ़ने की नसीहत दी थी।

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बक्सर से करते थे अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत

वाजपेयी बिहार में अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत बक्सर से करते थे। बक्सर से उनके बेहद करीबी माने जाने वाले लालमुनि चौबे लोकसभा चुनाव लड़ते थे। बक्‍सर के बाद ही वे दूसरी जगह चुनाव प्रचार के लिए जाते थे। केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे बताते हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी ने बिहार में अंतिम बार भागलपुर में उनके लिए चुनाव प्रचार किया था। उन्‍होंने यह भी बताया कि वाजपेयी को भागलपुर की रेशमी शाल बहुत पसंद थी।

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पटना में गंगा प्रसाद के घर पर रुकते थे वाजपेयी

वाजपेयी पटना आने पर सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद के घर पर रुकना पसंद करते थे। वे गंगा प्रसाद के पुत्र व बीजेपी विधायक संजीव चौरसिया की शादी के बाद रिसेप्शन समारोह में पटना आए थे।

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हेमा मालिनी के रहे फैन, 25 बार देखी थी एक फिल्‍म

और अंत में वाजपेयी के बारे में एक बात और जान लीजिए। वे पटना आने पर अशोक सिनेमा हॉल में फिल्‍में देखते थे। अशोक सिनेमा हाल के मालिक बऊआ जी से उनके मधुर संबंध रहे। वाजपेयी बालीवुड अभिनेत्री हेमा मालिनी के बड़े फैन रहे थे। खुद हेमा मालिनी ने एक कार्यक्रम में बताया था कि वाजपेयी ने उनकी 1972 में रिलीज फिल्म ‘सीता और गीता’ 25 बार देखी थी। बालीवुड अभिनेताओं में वाजपेयी को दिलीप कुमार बहुत पसंद थे।

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input – DTW 24

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