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शब-ए-बारात से पहले देसी बम की बड़ी खेप हो रही थी तैयार, भागलपुर ब’म ब्ला’स्ट में बड़ा खुलासा

भागलपुर बम ब्लास्ट में बड़ा खुलासा: शब-ए-बारात से पहले देसी बम की बड़ी खेप हो रही थी तैयार, पुलिस को मकान मालिक की तलाश : भागलपुर बम ब्लास्ट में पुलिस की प्रारंभिक जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। यहां देसी बम की एक बड़ी खेप तैयार की जा रही थी। ये तैयारी शब-ए-बारात (18 मार्च) से ठीक पहले की थी। इस ब्लास्ट में दो लोगों का नाम सामने आ रहा है। एक लीलावती और दूसरी मकान मालिक मोहम्मद आजाद आलम। धमाके में जहां लीलावती के पूरे परिवार की लीला समाप्त हो गई है तो आजाद फरार है। मौके से भारी मात्रा में बारूद और लोहे की कील मिली है। बारूद पश्चिम बंगाल और झारखंड से आता था। मामले की एटीएस और एसआईटी जांच कर रही है। नक्सली कनेक्शन की जांच भी की जा रही है। पुलिस इसकी तलाश में लगातार छापेमारी कर रही है। पढ़िए बम ब्लास्ट से पीछे की पूरी कहानी…

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भागलपुर के दो थाने ततारपुर और कोतवाली के बीच बसा है काजवली चक। घनी आबादी वाले काजवली चक के बीचोबीच एक तीन मंजिला मकान है, जिसमें मोहम्मद आजाद का मकान है। इस मकान में लीलावती देवी अपने परिवार वालों के साथ रहती थी। पहले यह मकान लीलावती का था और आजाद इसमें दुकान चलाता था। 10 साल पहले आजाद ने यह मकान लीलावती से खरीदा था। लीलावती का पूरा परिवार पटाखा बनाने का काम करता था। इसलिए आजाद ने परिवार को बड़ा काम दे दिया।

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पुलिस की जांच में यह खुलासा हुआ है कि लोगों की नजरों में धूल झोंकने के लिए यहां दिन में वेल्डिंग और ग्रिल बनाने के साथ डिस्पोजेबल कप प्लेट का कारोबार किया जाता था। शाम ढलते ही यहां बम बनाने का काम शुरू हो जाता था। रात के अंधेरे में ही बम बनाकर तय योजना के तहत सुबह 4 बजे तक उसकी डिलीवरी भी कर दी जाती थी।

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बम बनाने की तैयारी कितनी बड़ी थी इसकी अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि घटना स्थल से 16 किलो बारूद बरामद हुआ है। इसमें काले रंग का 10 किलो, सिल्वर रंग का 5 किलो और एक किलो का पीले रंग का का बारूद बरामद हुआ है। इसके अलावा एक किलो कील भी बरामद हुआ है।

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पहले भी इस घर में तीन धमाके हो चुके हैं

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काजवली चक के जिस घर में यह ब्लास्ट हुआ है, वहां वर्षों से पटाखे भी बनते रहे हैं। यहां ब्लास्ट भी होता रहा है, लेकिन इतना भयानक धमाका आज से पहले कभी नहीं हुआ था। हर बार का ब्लास्ट एक घरों तक सिमट कर रह जाता था। 2002, 2008 और 2021 में हुए धमाके बस इस घर तक सीमित थे। इससे अब तक कुल 5-6 लोगों की मौतें हुई थीं, इसमें लीलावती के ससुर और देवर शामिल थे। इस बार के धमाके का असर तीन किलोमीटर तक के इलाके में दिखा। 4 घर जमींदोज हो गए और 14 लोगों की जान एक साथ चली गई।

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