ADMINISTRATIONBIHARBreaking NewsMUZAFFARPURNationalPoliticsSTATE

बिहार में शिक्षक बहाली: आधे से अधिक सीटों पर बंगाल के युवाओं को कब्ज़ा, राज्य के युवाओं ने की ये मांग

बिहार में शिक्षक नियोजन का मौका सूबे के निवासी अभ्यर्थियों से अधिक बाहरी अभ्यर्थी भुना रहे हैं। बंगाल और उत्तर प्रदेश के रहने वाले अभ्यर्थियों की संख्या अधिक है।

बिहार के युवा यूपीएससी जैसी परीक्षाओं में भले ही सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं। लेकिन बिहार में हुए शिक्षक नियोजन में बिहार के बदले बंगाल के युवा मौकों को भुना रहे हैं।

Sponsored

बात हाल में हुए शारीरक शिक्षकों की बहाली की करें तो किशनगंज जिले में 45 शारीरिक शिक्षकों की बहाली में बिहार के केवल 11 युवकों की बहाली हो पाई।

Sponsored

किशनगंज जिले के विभिन सातों प्रखंडो में हुई इन 45 शारीरिक शिक्षकों की बहाली में 27 बंगाल के तो उतरप्रदेश के छह और झारखंड के एक युवक को मौका मिला।

Sponsored

दूसरे राज्यों से बिहार की तुलना

यह हालत तो तब है जब प्रदेश में इन दिनों बेरोजगारी की समस्या चरम पर है। नौकरी के लिए प्रदेश के युवाओं का इंतजार हर साल लंबा होता जा रहा है।

Sponsored

इस मामले में युवकों का कहना है कि दूसरे राज्यों में डोमिसाइल पॉलिसी होने के कारण वे कहीं अप्लाई नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में जब उनके राज्य में भी उन्हें अधिकार नहीं मिलेगा तो वह कहां जाएंगे। युवाओं का कहना है कि उन्हें अपने राज्य की नौकरियों में प्राथमिकता मिले।

Sponsored

Instead of Bihar, the youth of Bengal are seizing the opportunities in teacher employment in Bihar.

Sponsored

बंगाल के युवाओं ने गाड़ा झंडा

गौरतलब है कि बिहार लोक सेवा आयोग से हो रही बहाली हो या फिर बिहार ज्यूडिशरी के लिए हुई बहाली, बिहार कर्मचारी चयन आयोग और बिहार शिक्षक नियोजन की बहाली, सभी क्षेत्रों में बिहार के युवा अपने ही राज्य में नौकरी के लिए तरस रहे हैं।

Sponsored

पोठिया में 9 में आठ बंगाल के बात यदि प्रत्येक प्रखंड के अनुसार करें तो बंगाल के युवाओं ने पोठिया प्रखंड में झंड़ा गाड दिए हैं। इस प्रखंड में 9 शारीरिक शिक्षकों की बहाली हुई उसमें से 8 बंगाल के स्थायी निवासी हैं, वहीं एक अभ्यर्थी बिहार का निवासी है।

Sponsored

ठाकुरगंज में बंगाल, उत्तर प्रदेश के अभ्यर्थी

ठाकुरगंज प्रखंड में जिन 10 युवकों की शारीरिक शिक्षक के पद पर बहाली हुई है उसमें बंगाल के दो, उत्तरप्रदेश के चार तो बिहार के भी चार अभ्यर्थी रहे।

Sponsored

टेढ़ागाछ प्रखंड में तीन अभ्यर्थियों में तीनों ही बंगाल के निवासी हैं। दिघलबैंक में शारीरिक शिक्षको के नौ पदों पर हुई बहाली में पांच बंगाल तो बाकी बचे चार बिहार के निवासी हैं।

Sponsored

कोचाधामन व किशनगंज में बाहरी अभ्यर्थी

कोचाधामन के छह पद पर बिहार के एक, बंगाल के तीन तो उत्तरप्रदेश के दो युवकों की बहाली हुई है। बहादुरगंज में पांच अभ्यर्थियों में बंगाल के चार तो झारखंड के एक युवा नौकरी पा सके हैं। किशनगंज प्रखंड के तीन अभ्यर्थियों में दो बंगाल के तो एक बिहार के हैं।

Sponsored

The youth of Bihar demanded that the domicile policy should be implemented here like other states.

Sponsored

45 में किशनगंज का केवल एक युवक

किशनगंज जिले के विभिन प्रखंडों के लिए हुए शारीरिक शिक्षकों की बहाली में जिन 45 युवाओं का चयन हुआ है, उनमें से किशनगंज का स्थायी निवासी केवल एक युवा ही है। इस युवा की बहाली कोचाधामन प्रखंड में हुई है।

Sponsored

बाकी जगहों पर कहीं बिहार के दूसरे जिले के तो कही दूसरे राज्य के युवाओं ने बाजी मार ली। 18 से अधिक राज्यों में बाध्यताएं विभिन्न राज्यों की सरकारें अपने-अपने राज्यों के युवाओं को नौकरियों में प्राथमिकता दे रही हैं।

Sponsored

हालांकि अधिकतर राज्यों ने स्थायी कानून या नियम तो नहीं बना रखा, लेकिन अलग-अलग भर्तियों में विभिन्न प्रकार की ऐसी बाध्यताएं जोड़ दी, जिससे बाहरी राज्यों के युवा आवेदन ही न कर पाएं।

Sponsored

करीब 18 राज्यों ने पिछले दो-तीन वर्षों में विभिन्न भर्तियों में स्थानीय भाषा, स्थानीय राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त संस्थान से डिग्री आदि की अनिवार्यता कर दी। कुछ राज्यों ने तो सीधे तौर पर मूल निवासियों होने की शर्त जोड़ दी. इससे बाहरी राज्यों के युवा भर्तियों से बाहर हो गए।

Sponsored

क्या कहते हैं बेरोजगार युवक?

इस मामले में बेरोजगार युवक विवेक साह, रजत चोधरी आदि कहना है कि बिहार में भी अन्य राज्यों की तरह डोमिसाइल पॉलिसी लागू होनी चाहिए।

Sponsored

ताकि यहां के युवकों को रोजगार में प्राथमिकता मिले। उन्हें भटकना ना पड़े. मौजूदा हालात में बिहार के युवाओं को बहुत परेशानी झेलनी पड़ रही है।

Sponsored

Comment here