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बिहार में पहली बार दिखा यह दुर्लभ पक्षी, पर्वतीय पक्षियों का बसेरा बना यह झील

बिहार में पहली बार भागलपुर नवगछिया इलाके में ब्लैक ब्रेस्टेड थ्रश दिखा। जगतपुर झील इसका बसेरा बना हुआ है। 8200 फीट तक के ऊंचे पर्वतों पर करता है निवास। अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आइयूसीएन) की रेड लिस्ट (चिंता श्रेणी) में है शामिल। नवगछिया अनुमंडल स्थित जगतपुर झील ठंड के महीने में पर्वतीय पक्षियों के आकर्षण का केंद्र बन गई है। इस बार यहां ब्लैक ब्रेस्टेड थ्रश (नर) पक्षी निवास करने आया है। 8200 फीट तक के ऊंचे पर्वतों पर रहने वाले इस पक्षी के आगमन से यहां पक्षियों का सर्वेक्षण कर रही टीम उत्साहित है। उनका दावा है कि इस प्रजाति का पक्षी बिहार में पहली बार जगतपुर में ही दिखा है। पक्षी एवं पर्यावरण संरक्षण पर काम करने वाली संस्था बाम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोशायटी (बीएनएचएस) के बर्ड्स रिंगिंग एंड मानिटरिंग प्रोग्राम भागलपुर के एजुकेशन असिस्टेंट दीपक कुमार ने इसकी तस्वीर ली है।

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जगतपुर झील

दीपक बताते हैं कि हाल में ही बीएनएचएस बिहार की टीम राहुल कुमार एवं खुशबू रानी के साथ वे जगतपुर झील में पक्षियों का सर्वेक्षण कर रहे थे। उसी दौरान नायाब प्रजाति का यह पक्षी दिखा तो उन्होंने फोटो क्लिक कर ली। उस वक्त भागलपुर में मौजूद बीएनएचएस के पूर्व निदेशक डा. रहमानी ने उसकी पहचान ब्लैक ब्रेस्टेड थ्रश (नर) के रूप में की। इसके बाद इस पक्षी के बारे में अन्य जानकारियां जुटाई जा रही हैं। जगतपुर झील से पहले इस पक्षी को केवल भारत के पूर्वोत्तर राज्यों व पश्चिम बंगाल में देखा गया था। जगतपुर में इस पक्षी को पहली बार देखा गया है।

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ब्लैक ब्रेस्टेड थ्रश

यह पक्षी ऊंचे पर्वतीय क्षेत्र में करता है निवास

यह खूबसूरत पक्षी उतर-पूर्व भारत के राज्यों समेत चीन, म्यांमार, नेपाल तथा उत्तरी वियतनाम के 5000 फीट से लेकर 8200 फीट तक के ऊंचे पर्वतीय क्षेत्र में निवास करता है। कड़ाके की ठंड पडऩे पर यह तराई एवं निचले क्षेत्रों में विचरण करने आ जाता है। यह सर्वभक्षी पक्षी है। मुख्य रूप से छोटे-छोटे कीड़े-मकोड़ों के अतिरिक्त बेरी एवं छोटे फल खाता है।

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पर्वतीय पक्षियों का बसेरा बनी यह झील

इसे अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आइयूसीएन) की रेड लिस्ट (चिंता श्रेणी) में रखा गया है। एक दशक में इस पक्षी की संख्या में 30 फीसद से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है। प्राकृतिक आवास का विनाश और क्षरण इसकी जनसंख्या में गिरावट का मुख्य कारण है।

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खेती में बदलाव से आ रहे दुर्लभ पक्षी

हाल के दिनों में जगतपुर झील के आसपास के प्रखंड खरीक और बिहपुर में खेती में बदलाव आया है। फलों की खेती में केला यहां की प्रसिद्ध पैदावार तो है ही। अब यहां स्ट्राबेरी की भी खेती की जा रही है। दीपक कहते हैं कि बेरी इस पक्षी का पसंदीदा आहार है। ऐसे में कह सकते हैं कि स्ट्राबेरी की खेती भी इसे जगतपुर झील खींच लाई है।

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खेती में बदलाव से आ रहे दुर्लभ पक्षी

इसके बारे में और जानकारी जुटाई जा रही है। स्थानीय स्तर पर स्ट्राबेरी के खेतों में इसे दिखने के बारे में पता किया जा रहा है। पहले जिन तराई इलाकों में इसे देखा गया है वहां आसपास किस-किस प्रकार के फलों की खेती की जाती है, इसके बारे में पता लगाया जा रहा है। जल्द ही इसपर शोध रिपोर्ट तैयार हो जाएगी।

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इस साल पक्षियों की 12 नई प्रजातियां आई

भागलपुर जिला वन अधिकारी भरत चिंतापल्ली का कहना है कि इस बार की ठंड में भागलपुर में पक्षियों की 12 नई प्रजातियां देखी गई है। स्थानीय पारिस्थितिकी के लिए यह शुभ संकेत है। मार्च तक में इसकी पूरी रिपोर्ट मिल जाएगी। गंगा और कोसी नदियों के वनस्पतियों से समृद्ध तट पर प्रवासी पक्षियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इनका संरक्षण भी किया जा रहा है।

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