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बिहार में ताड़ी बनाने वाले परिवारों का सर्वेक्षण, जीविका से जोड़कर दिया जायेगा प्रशिक्षण

बिहार के बांका जिले से जो खबर सामने आई है, वो ताड़ी उत्पादन करने वाले परिवारों के लिए अच्छी है। अब इनका सर्वेक्षण किया जाएगा। जिले में एक लाख 22 हजार ताड़ और 82 हजार खजूर के पेड़ हैं। जिले में ताड़ी के उत्पादन और बिक्री कार्य में पारंपरिक रूप से संलग्न परिवारों का सर्वेक्षण किया जाएगा। सर्वेक्षण के बाद उनके परिवारों को जीविका से समूह में जोड़कर उन्हें नीरा से तैयार प्रोडक्ट का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे लोगों को रोजगार उपलब्ध होने के साथ ही उनकी आमदनी बढ़ेगी।

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जीविका के प्रशिक्षण अधिकारी रूपेश कुमार तोमर ने बताया कि पारंपरिक रूप से ताड़ी के उत्पादन और बिक्री से जुड़े परिवारों का सर्वेक्षण किया जाएगा। इसके बाद इन परिवारों का उत्पादक समूह बनाया जाएगा। इन समूहों को प्रशिक्षण देकर उन्हें नीरा से उत्पाद तैयार किया जाएगा। इसके बिक्री के लिए भी सभी पंचायतों में बिक्री केंद्र खोला जाएगा। इससे जुडऩे के बाद लोगों को रोजगार मिलने के साथ ही आमदनी बढ़ेगी।

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Good news for toddy producing families
ताड़ी उत्पादन करने वाले परिवारों के लिए अच्छी खबर

सभी पंचायतों में खुलेगा बिक्री केंद्र

नीरा से बने उत्पाद की बिक्री के लिए जिले के सभी पंचायतों में तीन बिक्री केंद्र खोला जाएगा। इसके साथ ही भीड़-भाड़ वाले जगहों पर भी बिक्री केंद्र खोला जाएगा। इसके लिए जिले में परंपरागत रूप से जुड़े परिवारों को चिन्हित किया जा रहा है।

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Sales centers will be opened in all panchayats for the sale of products made from Neera
नीरा से बने उत्पाद की बिक्री के लिए सभी पंचायतों में खुलेगा बिक्री केंद्र

इसके बाद यदि ये परिवार जीविका से नहीं जुडे है तो उन्हें जीविका से जोड़ा जाएगा। इसके बाद सभी प्रखंड़ो में 40 सदस्यों का उत्पाद समूह बनाया जाएगा। इस समूह को प्रखंड और कलस्टर लेवल पर प्रशिक्षण दिया जाएगा।

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जिले में दो लाख ताड़ और खजूर के पेड़

जिले में लगभग दो लाख ताड़ और खजूर के पेड़ है। इसमें से एक लाख 22 हजार 77 ताड़ के पेड़ और 82 हजार 488 खजूर के पेड़ है। इसमें से सात हजार 755 ताड़ के एक्टिव पेड़ हैं, जिससे ताड़ी निकाला जा रहा है। इसके साथ ही 13 हजार 34 खजूर के पेड़ एक्टिव है।

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Training will be given for products made from Neera in Bihar
बिहार में नीरा से तैयार प्रोडक्ट का प्रशिक्षण दिया जाएगा

परियोजना के प्रबंधक संजय कुमार ने कहा कि जिले में पारंपरिक रूप से जुड़े परिवारों को चिन्हित किया जाएगा। इसके बाद इनको जीवका से जोड़कर उन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे बने उत्पाद को बेचने के लिए सार्वजनिक जगहों के साथ ही सभी पंचायतों में बिक्री केंद्र खोले जाएंगे। इससे लोगों को रोजगार मिलेगा।

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