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बिहार के सिलाव का मशहूर खाजा 52 परत में बनता है, हर दिन 10 लाख का कारोबार

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बिहार के नालंदा जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर है, सिलाव। यहां की पहचान देश ही नहीं विदेशों में भी प्रसिद्ध मिठाई खाजा से है। खाजा यानी मिठाई का राजा। 52 परत वाली खास्ता और लजीज खाजा का मुरीद हर खाने वाले हो जाते हैं। राजगीर और नालंदा आने वाले सैलानी खाजा का स्वाद जरूर लेते हैं। सिलाव में खाजा की 100 से ज्यादा दुकानें हैं। हर दिन करीब 10 लाख रुपए का कारोबार होता है।

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खाजा का स्वाद ऐसा है, कि एक बार खा लें तो बार-बार खाने का मन करता है। स्वादिष्ट मिठाई के रूप में मशहूर खाजा देश ही नहीं विदेश में भी प्रसिद्ध है। खाजा मिठाई को जीआई टैग भी मिला है। इस कारोबार से करीब छह हजार लोग जुड़े हैं। कई कारोबारी तो बदलते समय के साथ ऑनलाइन मार्केटिंग भी करने लगे हैं।

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खाजा की पांच वेराइटी

सिलाव का मशहूर खाजा

सिलाव में बनने वाली खाजा मिठाई की चार वेराइटी है। बारिश के दो माह सावन और भादो को छोड़ दें तो यह मिठाई करीब एक महीने तक खराब नहीं होती है। पांच वेराइटी का खाजा सिलाव में बनता है। मीठा खाजा, नमकीन खाजा, देसी घी वाला, सादा खाजा और खोवा वाला खाज़ा

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मिला चुका है जीआई टैग

सिलाव खाजा बिहार की पहली मिठाई है, जिसे भारत सरकार से जीआई (ज्योग्राफिकल इंडिकेशन) टैग मिला है। बिहार में मुजफ्फरपुर की शाही लीची, भागलपुर का कतरनी चावल, तसर सिल्क, जर्दालु आलू, मगही पान, सिक्की कला, सुजनी साड़ी, मधुबनी पेंटिंग आदि को भी जीआई टैग मिला है।

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जीआई टैग या भौगोलिक संकेत एक प्रकार की मुहर है, जो किसी भी उत्पाद के लिए दिया जाता है। जीआई टैग मिल जाने पर उस उत्पाद का अलग महत्व होता है। देश या विदेश के लोग घर बैठे उस उत्पाद को ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं।

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होनी है नाइट्रोजन पैकिंग

सिलाव में खाजा क्लस्टर बनाया जा रहा है। भवन बन गया है। मशीनें लगानी शेष हैं। बहुत जल्द यहां बनने वाली खाजा मिठाई की नाइट्रोजन पैकिंग की जानी है। नाइट्रोजन पैकिंग होने से देश के अलावा विदेश के पर्यटक जो राजगीर और नालंदा का भ्रमण करने आते हैं। वे अपने साथ स्वादिष्ठ मिठाई को आसानी से ले जा सकेंगे

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घर बैठे भी मंगा सकते हैं ऑनलाइन खाजा

आप गूगल प्ले स्टोर से “Sri Kali Sah Khaja” नमक एप्प को डाउनलोड करके घर बैठे सिलाव का स्वादिष्ट खाजा का आनंद ले सकते हैं।

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अंतरराष्ट्रीय मिठाई का भी मिला अवार्ड

कारोबारी संजीव कुमार बताते हैं कि 1987 में मॉरीशस में हुए अंतरराष्ट्रीय मिठाई महोत्सव में सिलाव के खाजा को अंतरराष्ट्रीय मिठाई का अवार्ड मिल चुका है। इसके अलावा दिल्ली, जयपुर, इलाहाबाद, पटना में लगी प्रदर्शनियों में भी खाजा को स्वादिष्ठ मिठाई का पुरस्कार मिला है।

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Abhishek Anand

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