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पाकिस्तान के खिलाफ 1971 में पैर गंवाने वाले सैनिक परिवार का बुरा हाल, नहीं मिल रा सरकारी लाभ

1971 के भारत-पाक युद्ध में झारखंड के फूलचंद मिंज ने अपना दाहिना पैर गंवा दिया था. रानीखटंगा (इटकी) निवासी जवान स्व मिंज का परिवार अब आर्थिक तंगी में गुजर-बसर कर रहा है. पांच जुलाई 1949 को साधारण परिवार में जन्मे फूलचंद मिंज 20 वर्ष की उम्र में पांच नवंबर 1969 को बीएसएफ के थ्री बिहार रेजिमेंट में सिपाही पद पर बहाल हुए थे.

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देश के विभिन्न स्थानों में ड्यूटी निभाने के करीब एक वर्ष बाद ही उन्हें जम्मू-कश्मीर के बारामूला सेक्टर में तैनात किया गया. इसी दौरान भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हो गया. युद्ध के दौरान बम विस्फोट में फूलचंद का दाहिना पैर जख्मी हो गया. इलाज के दौरान पैर को काटना पड़ा. महीनों सेना के अस्पताल में भर्ती रहने के बाद 27 अप्रैल 1974 को उनकी सेवा समाप्त कर दी गयी व घर भेज दिया गया.

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पेंशन के सहारे करीब 41 वर्ष तक अपने परिवार की गाड़ी खींचते रहे. 15 जनवरी 2015 को उनका निधन हो गया. परिवार का कहना है कि आर्थिक तंगी के कारण उनका सही ढंग से इलाज नहीं हो सका. वर्तमान में पत्नी के अलावा दो पुत्र, एक पुत्र वधु, दो पोते व एक अविवाहित पुत्री हैं. दो बेटियों की शादी हो चुकी है. पत्नी उषा मिंज आंख की बीमारी से ग्रसित हैं.

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उषा को पारिवारिक पेंशन के रूप में सात हजार रुपये मिलते हैं. पूरा परिवार मिट्टी के एक मकान में रहता है. पुत्री संगीता व संजय मजदूरी करते हैं. संगीता कहती है कि देश सेवा करते हुए पिता अपंग हो गये, परंतु सरकार ने इनकी कभी सुधि नहीं ली. उनके परिवार को शौचालय व लाल राशन कार्ड के अलावा किसी प्रकार की सरकारी सुविधा नहीं मिली है. परिवार को आवास की जरूरत है, परंतु आवेदन देने के बावजूद प्रखंड कार्यालय द्वारा दौड़ाया जा रहा है.

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