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ज्ञानवापी पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, DM को कहा- शिवलिंग क्षेत्र सुरक्षित रखें, नमाज भी न रुके

ज्ञानवापी प्रकरण: सुप्रीम कोर्ट का डीएम को निर्देश, शिवलिंग क्षेत्र सुरक्षित रखें, नमाज भी न रुके : वाराणसी के ज्ञानवापी प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अहम आदेश दिया। शीर्ष अदालत ने जिला मजिस्ट्रेट से कहा कि ज्ञानवापी पसिर में जहां शिवलिंग मिलना बताया गया है, उसे पूरी तरह से सुरक्षित रखें। साथ ही यह भी देखें कि इससे मुसलमानों को वहां नमाज अदा करने में कोई बाधा या रुकावट न आए।

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आदेश नमाज अदा करने से नहीं रोकेगा : जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने स्पष्ट किया कि वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन का आदेश मुसलमानों को ज्ञानवापी परिसर में नमाज अदा करने तथा धार्मिक परंपराएं निभाने से नहीं रोकेगा। सिविल जज ने 16 मई को शिवलिंग मिलने वाले स्थान को संरक्षित करने का आदेश प्रशासन को दिया था।

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गुरुवार को सुनवाई : पीठ ने सिविल जज की अदालत में याचिका दाखिल करने वाले सभी पक्षों और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया। साथ ही, निचली अदालत में जारी कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। अब अगली सुनवाई 19 मई को होगी। कोर्ट ने यह आदेश मस्जिद कमेटी की अर्जी पर जारी किया, जिसमें वाराणसी कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी।

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क्षेत्र सील नहीं होगा : कोर्ट ने मस्जिद कमेटी के वकील से कहा कि हमने सिविल कोर्ट में याचिकाकर्ता की अर्जी में किए गए तीन आवेदनों (क्षेत्र को सील करने, नमाज के लिए सिर्फ 20 लोगों को अनुमति देने और प्रवेश पर प्रतिबंध) को निकाल दिया है। हमने शिवलिंग मिलने के दावे वाले स्थान को संरक्षित कर दिया है। हमने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि इससे मुसलमानों के नमाज के अधिकारों पर कोई बंदिश न लगे। यह संतुलित आदेश है।

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रोक लगाने की मांग रद्द: यूपी सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आग्रह किया कि वजूखाने के पास जहां शिवलिंग मिला है, वहां किसी को आने न दिया जाए। अदालत ने उनकी मांग खारिज कर दी। तुषार मेहता ने कहा था कि यदि किसी ने शिवलिंग पर पैर लगाया तो कानून-व्यवस्था की स्थिति पैदा हो सकती है। शीर्ष अदालत ने मस्जिद कमेटी के वकील के इस आग्रह को भी नामंजूर कर दिया, जिसमें सिविल कोर्ट में सूट की सुनवाई पर रोक की मांग की गई थी। अदालत ने कहा कि ट्रायल कोर्ट समझदार है और उन्हें पता है कि क्या करना है।

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