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खत्म हुआ 88 साल का लंबा इंतजार, मिथिला व सहरसा के बीच ऐतिहासिक रेल सफर की हुई शुरुआत

यदि आप उत्तर या पूर्व बिहार से संबंध रखते हैं तो आपको बता दूं कि आपके लिए एक राहत की खबर है पिछले 87 वर्षों से बंद मिथिला और कोसी के बीच रेल परिवहन के द्वारा इन रूट को अब शुरू की जा रही है जोकि 1934 मे आए भूकंप से कोशि नदी के ऊपर स्थित रेलवे पुल क्षतिग्रस्त हो गई थी जिसके वजह से उत्तर बिहार और पूर्व बिहार की कनेक्टिविटी रूट लंबी हो गई थी जो कि उस वक्त दरभंगा से महज अधाई से तीन घंटे में सकरी, फारबिसगंज होते हुए डायरेक्ट सहरसा की सीधी ट्रेन सेवा हुआ करती थी जिसे अब फिर से लोग इसका लाभ उठा पाएंगे।

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करीब 88 वर्षों बाद दो भागों में विभाजित कोसी और मिथिलांचल के बीच एक बार फिर से रेल सफर शुरू हो गया हाजीपुर मुख्यालय के सीपीआरओ वीरेंद्र कुमार ने बताया कि कोसी और मिथिलांचल के बीच नये सेक्शन पर रेल मंत्री द्वारा वीडियो लिंक के माध्यम से ट्रेन को हरी झंडी दिखायी गयी. इस दौरान झंझारपुर से सहरसा के लिए सवारी ट्रेन चलायी गयी की नए रेलखंड के बन जाने के से दरभंगा से सहरसा जाने में महज दो से ढाई घंटे की सफर ही लगेंगे विशेष बात की जाए उत्तर बिहार की तो रेल परिवहन योजना मे बीते दशकों में इन क्षेत्र के विकास में कुछ खास देखने को नही मिली है पर हाल ही में देखा जा रहा है बिहार के उत्तर, पूर्व क्षेत्र में अब ढेर सारी परियोजनाएं एवं विकास को लेकर चर्चा की गई है तो अब दक्षिण बिहार के रेलवे कनेक्टिविटी की तरह आगामी दिनों में उत्तर पूर्व बिहार में भी देखने को मिलेगी।

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वर्तमान में मिथिला कोसी के बीच बन रही रेल पुल कि लंबाई 1.8 किलोमीटर एवं चौड़ाई 45.7 मीटर है और इस पुल में 39 स्पैन लगाए गए हैं जबकि इनकी निर्माण में लगभग 620 करोड़ रुपए की लागत बताई गई है साथ ही इस पुल की स्ट्रक्चर एमबीजी लोडिंग क्षमता के अनुसार बनाई गई है वही बताया जा रहा है कि इस पुल के निर्माण के बाद सहरसा, सरायगढ़, निर्मली, झंझारपुर, सकरी, दरभंगा को उत्तर बिहार की एक नई रेलखंड मिल जाएगी।

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