PATNA : राज्य में अपने पद का दुरुपयोग कर कमाई करने में पंचायत प्रतिनिधि और पंचायत से जुड़े अफसर व कर्मचारी सबसे अागे हैं. दूसरे नंबर पर शिक्षा से जुड़े अधिकारी-कर्मचारी शामिल हैं. यह बात पिछले दो वर्षों के दौरान भ्रष्टाचार के खिलाफ निगरानी की कार्रवाई में सामने आयी है.
मनरेगा, नल-जल से लेकर राज्य सरकार की कई महत्वाकांक्षी योजनाओं की रफ्तार में इनका भ्रष्टाचार आड़े आ रहा है. भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की सख्ती का ही नतीजा है कि लगभग हर रोज कोई-न-कोई भ्रष्ट अफसर-कर्मचारी पकड़ा जा रहा है. अफसरों के खिलाफ राज्य सरकार के निर्देश के तहत भ्रष्टाचार पर जीरो टाॅलरेंस नीति अपनाते हुए निगरानी अनवेषण ब्यूरो ने पिछले दो वर्षों के दौरान विभिन्न विभागों के 39 जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की है.
इनमें बड़े अफसर से लेकर छोटे स्तर के अधिकारी भी शामिल हैं, मगर इनमें सबसे अधिक (करीब आठ) मुखिया और पंचायत सचिव हैं. पंचायतों में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि पिछले दो वर्षों में भ्रष्टाचार के खिलाफ जितने भी मामले दर्ज हुए हैं, उनमें सबसे अधिक 20% पंचायत प्रतिनिधियों और पंचायत से जुड़े अफसर-कर्मचारियों के खिलाफ हैं.
पिछले साल मसौढ़ी के तिनेरी पंचायत के तत्कालीन मुखिया के अलावा दो पंचायत सचिवों पर भी भ्रष्टाचार को लेकर मामला दर्ज किया गया था. पिछले वर्ष निगरानी ने पद का भ्रष्ट दुरुपयोग करने को लेकर विभिन्न मामलों में 19 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. पिछले साल मार्च में दर्ज किये गये एक मामले में 17 लोगों के नाम हैं.
इनमें मनरेगा के कार्यक्रम पदाधिकारी, रोजगार सेवक, कनीय व सहायक अभियंता, विभिन्न पंचायतों के दो मुखिया, निगरानी समिति के सदस्य से लेकर मनरेगा और पंचायत से जुड़े कई कनीय पदाधिकारी हैं.
input – daily bihar
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