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‘ये आजादी झूठी है’ कहने वाली वामपंथी पार्टियां ने पहली बार पार्टी कार्यालय में फहराया तिरंगा

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75वें स्वतंत्रता संग्राम (75 Independence Day) के साथ ही देश में वामपंथी पार्टियां (Left Parties) सीपीआई (एम) (CPI-M) का इतिहास बदल गया. कभी ‘ये आजादी झूठी है’ कहने वाली वामपंथी पार्टियों ने रविवार को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पहली बार पार्टी कार्यालय (Party Office) में तिरंगा फहराया और स्वतंत्रता दिवस का पालन किया.

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दिल्ली, कोलकाता सहित बंगाल में माकपा के पार्टी कार्यालय में तिरंगा लहराया गया और इस अवसर पर राष्ट्रीय गीत जन-गण-मन अधिनायक के गीत भी गाए गए. बता दें कि इस बार माकपा केंद्रीय कमेटी की बैठक में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पार्टी कार्यालय में तिरंगा फहराने का निर्णय लिया गया था.

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आज ही वामपंथी के शीर्ष नेता स्वतंत्रता की चुनौतियों और वामपंथियों की भूमिका पर चर्चा करेंगे.

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दिल्ली के साथ बंगाल के जिले-जिले में पहराया गया तिरंगा

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दिल्ली के साथ-साथ बंगाल के विभिन्न जिला के माकपा के पार्टी कार्यालय में तिरंगा झंडा लहराया गया. दिल्ली स्थित माकपा कार्यालय में माकपा के वरिष्ठ नेता हन्नान मुल्ला ने तिरंगा फहराया, जबकि सिलीगुड़ी में पूर्व मंत्री अशोक भट्टाचार्य ने तिरंगा लहराया. इस अवसर पर उन्होंने कहा, “बीजेपी के खिलाफ लड़ाई पर जनता की राय नहीं ली गई. केंद्र सरकार के खिलाफ यह गठबंधन चुनावी गठबंधन नहीं है. ममता और बीजेपी का विरोध जारी रहेगा. अशोक भट्टाचार्य ने कहा,” मैंने पहले भी राष्ट्रीय ध्वज फहराया है. इस बार मैंने पार्टी कार्यालय में झंडा फहराया हैं.”

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कोलकाता के माकपा कार्यालय में तिरंगा पहराते विमान बोस और सुजन चक्रवर्ती.

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सात दशक के बाद वामपंथी पार्टियां में आया बदलाव

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यह बदलाव लगभग सात दशक से अधिक समय बाद आया है, जब अविभाजित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने नारा दिया था कि ‘ये आजादी झूठी है.’ बता दें कि देश में बीजेपी की बढ़ती ताकत और लगातार हो रही हार के बाद वामपंथियों ने राष्ट्रवाद को लेकर अपनी विचारधारा में परिवर्तन का निर्णय किया है. पश्चिम बंगाल में प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है. हाल के विधानसभा चुनाव में जहां बीजेपी ने मुख्य वपक्षी दल का दर्जा हासिल कर लिया, वहीं, कांग्रेस और वाम दलों के गठबंधन को करारी हार मिली. हैरानी की बात यह है कि इस चुनाव में साल 2011 तक सत्ता में रहे वामपंथी दलों व उनके गठबंधन साथी कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली है. इस हार ने सीपीआई(एम) को सोचने और बदलाव करने पर मजबूर कर दिया है. अब उसे अपने अस्तित्व पर खतरना मंडराने लगा है. इसलिए यह ऐतिहासिक परिवर्तन हो रहा है.

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Input: TV9 Bharatvarsh

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Abhishek

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Abhishek
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