नवरात्र इस वर्ष श्रद्धालुओं और भक्तों के लिए बेहद शुभ फलदायक साबित होगा। नवरात्र में मां दुर्गा का आगमन गजारूढ़ा है। मतलब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं। माता रानी का गमन भी विजयादशमी को गजारूढ़ा (गज) पर हो रहा है। ज्योतिषाचार्य पीके युग कहते हैं कि मां का हाथी पर आना और इसी पर विदा होना शुभ है। शारदीय नवरात्र में कलश स्थापना 26 सितम्बर को हो रहा है, जबकि विजयादशमी 5 अक्टूबर (बुधवार) को है।
शनिवार 1 अक्टूबर को देवी बोधन, आमंत्रण अधिवासन होगा। पंडित प्रेम सागर पांडेय कहते हैं कि मूल नक्षत्र युक्त सप्तमी तिथि में ही माता रानी का पट दर्शन के लिए खुलता है। इस दिन मूल नक्षत्र रात 221 तक है लेकिन सप्तमी तिथि सायं 0622 तक ही है। इस वर्ष माता रानी का पट 2 अक्टूबर रविवार को शाम 0622 से पहले होगा। सप्तमी तिथि में ही पत्रिका प्रवेशन होगा। महानिशा पूजा 2 अक्टूबर को होगी क्योंकि सप्तमी की समाप्ति शाम 0622 में है। 3 अक्टूबर को अष्टमी शाम में 424 बजे तक है। इस तिथि में महागौरी दर्शन पूजन, पूजा पंडाल में संधि पूजा दिन 0424 तक होगा।
श्रद्धालुओं को दुर्गासप्तशती का पाठ अनुष्ठान 26 सितंबर से शुरू होकर महानवमी 4 अक्टूबर तक होकर माता सिद्धिदात्री देवी की पूजा-अर्चना के बाद होमादि दिन 132 तक करना होगा। विजयादशमी 5 अक्टूबर को है, जिससे नवरात्राव्रती पारण करेंगे।
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