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बिहार के लाल ने किया कमाल, प्रमोद ने टोक्यो पैरालंपिक में जीता गोल्ड, अर्जुन अवार्ड से भी हो चुके है सम्मानित

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शरद कुमार के बाद प्रमोद भगत ने टोक्यो पैरालिंपिक में शानदार प्रदर्शन कर बिहार के साथ-साथ देश का मान बढ़ाया है। उन्होंने बैडमिंटन में भारत के लिए गोल्ड जीत लिया है। पदक जीतने के बाद उनके गांव में जश्न का माहौल है।

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प्रमोद बिहार के हाजीपुर के रहने वाले हैं, लेकिन 5 साल की उम्र में पैर में पोलियो के कारण उनकी बुआ बेहतर इलाज के लिए ओडिशा लेकर चली गई थीं। जहां उन्होंने अपनी कमजोरी को ताकत बनाया और बैडमिंटन खेलना शुरू किया।

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प्रमोद के पिता गांव में रहकर खेती करते हैं। पिता रामा भगत कहते हैं- “बचपन से ही उसकी खेल में रुचि थी। वो सबको हरा देता था। तभी उसको पोलियो हो गया। इससे सब निराश हो गए थे। हमारी बहन किशुनी देवी और बहनोई कैलाश भगत को कोई संतान नहीं है। उन्होंने उसे गोद ले लिया और अपने साथ भुवनेश्वर में रखा। वहीं उसकी शिक्षा-दीक्षा हुई। इंटर के बाद उसने ITI किया है।’

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मालती देवी और रामा भगत के 28 वर्षीय पुत्र प्रमोद भगत फिलहाल भुवनेश्वर में स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत हैं। प्रमोद के बड़े भाई गांव में बिजली मिस्त्री का काम करते हैं। छोटे भाई शेखर भुवनेश्वर में इलेक्ट्रिकल पार्ट्स की दुकान चलाते हैं। दिव्यांग होने के बावजूद प्रमोद की खेल में रुचि ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है। इसके पहले 2006 में उनका चयन ओडिशा टीम में हुआ था। वहीं, 2019 में उनका चयन राष्ट्रीय टीम में हुआ था। प्रमोद को 2019 में अर्जुन अवॉर्ड और ओडिशा सरकार की ओर से बीजू पटनायक अवॉर्ड मिल चुका है।

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प्रमोद के लिए यह साल बेहतरीन रहा
दुनिया के नंबर वन खिलाड़ी प्रमोद भगत के लिए यह साल बेहतरीन रहा है। उन्होंने अप्रैल में दुबई पैरा बैडमिंटन टूर्नामेंट में दो गोल्ड मेडल जीते थे। भगत ने कोरोना महामारी के कारण एक साल के ब्रेक के बाद वापसी की थी। उन्होंने सिंगल्स में स्वर्ण पदक जीतने के अलावा मनोज सरकार के साथ मिलकर एसएल4-एसएल3 वर्ग में मिक्स्ड डबल्स का स्वर्ण पदक भी जीता था।

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वे वर्ल्ड चैम्पियनशिप में चार गोल्ड समेत 45 इंटरनेशनल पदक जीत चुके हैं। BWF वर्ल्ड चैम्पियनशिप में पिछले आठ साल में उन्होंने दो गोल्ड और एक सिल्वर मेडल अपने नाम किए हैं। 2018 पैरा एशियाई खेलों में उन्होंने एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल जीता था।

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Input: Bhaskar

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