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‘हल’ चलाने वालों के हाथ में ‘तलवार’, क्या आंदोलन में किसान के बहाने फैलाई जा रही हिंसा ?

किसानों के नाम पर नवंबर से आंदोलन कर रहे लोगों की आखिर मंशा क्या है। महीनों से दिल्ली बॉर्डर को जाम करने वाले आखिरकार ये लोग हैं कौन ? हालांकि यह लोग खुद को कहते तो किसान हैं लेकिन उनका आचरण बिल्कुल नक्सलियों की तरह है।

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तिरंगा हटाकर अपना झंडा लहराने वाले किसान कैसे हो सकते हैं ?

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किसानों के नाम पर दिल्ली में खुलेआम गुंडागर्दी पर उतरे लोगों ने तिरंगा उतार कर अपना झंडा फहराने की कोशिश की। इतना ही नहीं दिल्ली के तमाम बॉर्डर पर जमा प्रदर्शनकारी की हरकत देखकर आज पूरा देश हतप्रभ है। लोग यह सोचने पर मजबूर हैं कि आखिरकार ये जो भी हों, कम-से-कम किसान तो नहीं हो सकतें क्योंकि लोगों ने आज तक किसानों के हाथ में हल देखा था तलवार नहीं। और ये कैसे किसान हैं जो लाल किले पर चढ़ाई कर रहे हैं। पुलिस वाले पर पथराव, आगजनी, बस पर हमला कोई किसान कैसे कर सकता है।

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प्रदर्शनकारियों के फाइव स्टार कल्चर से परिचित हो चुके हैं लोग

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नवंबर से दिल्ली में बैठे प्रदर्शनकारी किस तरह मर्सिडीज कार से आते हैं, प्रदर्शन के बीच उन्होंने कैसे लेटेस्ट टेक्नॉलजी से फुट मसाज और बॉडी मसाज का आनंद लिया था। इसके अलावा किसान के नाम पर प्रदर्शन करने वाले किस कदर बादाम की चाय और हाइजीन फूड का मजा ले रहे थे, यह पूरे देश ने देखा था। देश की जनता ने यह भी देखा कि इन्हें कैसे कांग्रेस और वाम दलों के नेताओं की ओर से प्रॉटेक्ट किया जा रहा था।

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26 जनवरी के बाद 1 फरवरी की भी कर रखी है तैयारी
दिल्ली में गणतंत्र दिवस के मौके पर तांडव करने वाले तथाकथित किसान के नेता अब 1 फरवरी की तैयारी में भी जुटे हुए हैं। गणतंत्र दिवस के मौके पर हंगामा खड़ा कर दुनिया को भारत में सब कुछ ठीक नहीं है, यह दर्शाने की कोशिश करने वाले अब 1 फरवरी को संसद भवन की ओर कूच करने की तैयारी करेंगे। तिरंगे का अपमान करने वालों का यह प्रदर्शन नहीं बल्कि इसे सीधे तौर पर दंगा कहा जा सकता है। जरा सोचिए आज के इस घटना को पूरी दुनिया में किस नजरिए से देखा जाएगा। यानी, खालिस्तान समर्थक पाकिस्तान और चीन जिस तरीके का उपद्रव भारत में चाहता था, यह प्रदर्शनकारी पूरी तरह से उनके मंसूबों को अंजाम देते नजर आ रहे हैं।

क्या पूरा खेल साढ़े 6 हजार करोड़ रुपए का है ?

बताया जाता है कि केंद्र सरकार के नए किसान कानून की वजह से जहां छोटे किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी, वहीं बिचौलियों की मनमानी खत्म हो जाएगी। मिली जानकारी के अनुसार किसानों की मेहनत से उगाई गई फसल से बिचौलिए हर साल साढ़े 6 करोड़ रुपए की कमाई करते हैं। केंद्र सरकार के नए कृषि कानून के तहत अब किसानों को यह आजादी होगी वह देश के किसी भी मंडी में जहां उसे अच्छी कीमत मिले वहां अपनी अनाज बेच सकता है। यही वजह है कि बिचौलिए और उनके आड़ में वामपंथी और कांग्रेसी नेता जो किसान संगठन चला रहे हैं उन्हें अपनी कमाई बंद होने का डर सताने लगा है।

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बताया जाता है कि बिचौलियों द्वारा सबसे ज्यादा कमाई पंजाब-हरियाणा के किसानों से ही की जाती थी। इसीलिए दिल्ली में प्रदर्शनकारियों में पंजाब और हरियाणा के बिचौलिए किसानों के नाम पर उग्र प्रदर्शन कर रहे हैं। यह भी सच है कि अगर नया किसान कानून वास्तव में किसानों के हित में नहीं होता तो पूरे देश में इस तरह का प्रदर्शन देखने को मिलता। लेकिन सिर्फ दिल्ली में कुछ हजार लोगों का यह प्रदर्शन यह साबित करने को काफी है कि सिर्फ अपना उल्लू सीधा करने के लिए किसानों के नाम पर बिचौलिए और राजनीतिक दल ही हंगामा खड़ा किए हुए हैं।

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