ADMINISTRATIONBIHARBreaking NewsMUZAFFARPURNationalPoliticsSTATE

शुभ मुहूर्त में करें कलश स्‍थापना से लेकर प्रत्‍येक विधि, पांच अक्‍टूबर तक रखें खास ध्‍यान

दुर्गा पूजा 2022 : शारदीय नवरात्र 26 सितंबर यानि सोमवार से आरंभ होनेवाला है। इस बार नौ पूजा एवं दशम यात्रा का योग है। शारदीय नवरात्र के बारे में बताते हुए गोसपुर निवासी आचार्य पंडित धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने कहा कि इस बार माता दुर्गा का आगमन हाथी पर होगा, जिसका फल सुख, समृद्धि और शांति होगा तथा शुभ वृष्टि योग भी बन रहा है। साथ ही भगवती का प्रस्थान भी हाथी पर ही होगा। जिसका फल भक्तों की हर एक मनोकामना पूर्ण करेंगी। मां जगदंबा का अलग-अलग वाहनों पर आगमन भी विशेष संकेत ही देते हैं। देवी भागवत पुराण के अनुसार जब भगवती दुर्गा की पूजा और नवरात्रि आरंभ रविवार या सोमवार को होता है तब भगवती दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं और सभी प्रकार के शुभत्व भक्तों को प्रदान करती हैं। सभी के जीवन में खुशियां भर देती हैं। आचार्य ने बताया कि नवरात्र पर्व वर्ष में चार बार मनाया जाता है। आश्विन मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्र शुरू हो जाते हैं। नवरात्र में भक्तिपूर्वक निष्ठावान होकर मां दुर्गा की पूजा-अर्चना एवं आराधना करने से रिद्धि-सिद्धि, सुख-शांति एवं मानव जाति का कल्याण होगा।

Sponsored

कलश स्थापन मुहूर्त

Sponsored

सोमवार को प्रतिपदा तिथि होने से कलस्थापन सिद्धि योग में होगा। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 26 सितंबर को प्रातःकाल 9:02 से लेकर अपराह्न के 3:00 बजे तक अति सिद्ध योग में कलश स्थापन करनी चाहिए। शुभ मुहुर्त में कलश स्थापना फलदायक होता है।

Sponsored

इस प्रकार है पूजा की तिथि

Sponsored

आचार्य धर्मेंद्रनाथ ने बताया कि 26 सितंबर को कलश स्थापन, प्रथम पूजा। 27 सितंबर को श्रीरेमंत पूजा। 1 अक्टूबर को बेलनोती एवं गज पूजा जो अमृत योग में होगी। 2 अक्टूबर को नवपत्रिका प्रवेश प्रातःकाल एवं रात्रि में महारात्रि निशा पूजा, रात्रि जागरण एवं दीक्षा ग्रहण जो सर्वार्थ सिद्धि योग में होगी। 3 अक्टूबर को महाअष्टमी व्रत (श्री दुर्गाष्टमी)। 4 अक्टूबर को महानवमी व्रत, त्रिशुलिनी पूजा, दीक्षाग्रहण एवं हवनादि कर्म। 5 अक्टूबर को विजयादशमी, नवरात्रि व्रत पारण। देवी विसर्जन, जयंती धारण, अपराजिता पूजा, शमी पूजा एवं नीलकंठ दर्शन शुभदायी है।

Sponsored

जयंती छेदन (काटने) का शुभ मुहुर्त

Sponsored

आचार्य ने बताया कि विजयादशमी यानि 5 अक्टूबर को जयंती छेदन (काटने) का शुभ मुहुर्त प्रातःकाल 6 बजकर 9 मिनट से प्रातः काल 9 बजे तक एवं 10 बजकर 35 मिनट से 11 बजकर 20 मिनट तक है। आचार्य ने बताया कि पूर्वाह्न में आह्वान एवं विसर्जन शुभदायक होता है।

Sponsored

Comment here