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मुजफ्फरपुर के रामवृक्ष बेनीपुरी महिला कॉलेज में राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन, कई वक्ताओं ने रखे अपने विचार

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आज मुजफ्फरपुर के रामबृक्ष बेनीपुरी महिला महाविद्यालय में राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया जो राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा संपोषित है।

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वेबिनार का विषय ” घरेलू हिंसा अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन में समस्याएं” थी। वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षा प्राचार्या प्रो. ममता रानी ने कार्यक्रम का औपचारिक उद्घाटन किया।

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विषय प्रवेश कार्यक्रम समन्यवक डॉ मधु सिंह ने तथा कार्यक्रम का संचालन सह – समन्यवयक डॉ रेणु बाला एवं नूपुर वर्मा ने किया। डा.रेशमा सिंह ने कार्यक्रम के तकनीकी निर्देशन का कार्य किया। आमंत्रित वक्ता के रूप में एडवोकेट माधुरी लता ,अधिवक्ता , उच्च न्यायालय ,पटना ने “घरेलू हिंसा कानून के प्रभावी क्रियान्वयन में समस्याएं ” विषय पर अपने महत्वपूर्ण विचार रखे ।

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उन्होंने बताया कि कानून के प्रभावी क्रियान्वयन में पर्याप्त संख्या में प्रोटेक्शन ऑफिसर का नहीं होना,संसाधन की कमी तथा मामले के त्वरित निष्पादन की समस्या भी महिलाओं को कानून की शरण में जाने से रोकती है। कानून के प्रभावी क्रियान्वयन में सबसे बड़ी बाधा है पीड़ित व्यक्ति के पुनर्वासन के लिए ठोस मशीनरी का अभाव।

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दूसरी आमंत्रित वक्ता के रूप में प्रो. शेफाली रॉय, विभागाध्यक्ष ,राजनीतिशास्त्री,पटना विश्वविद्यालय ,पटना ने ” लॉक डाउन अवधि में घरेलू हिंसा” विषय पर प्रकाश डाला । उन्होंने घरेलू हिंसा के मनोवैज्ञानिक पहलू को स्वस्थगत पहलू से ज्यादा खतरनाक बताया तथा यह भी बताया कि भारत के विकसित राज्यों की तुलना में विकासशील राज्यों जैसे बिहार , मध्यप्रदेश,राजस्थान जैसे प्रदेशों में घरेलू हिंसा के दर में कमी देखी गई है।

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तृतीय वक्ता के रूप में प्राचार्या प्रो. ममता रानी ने “कामकाजी महिलाएं और घरेलू हिंसा ” विषय पर अपने विचार रखे।उन्होंने कामकाजी महिलाओं के प्रति समाज का नजरिया, अर्थ उपार्जन के बावजूद उनकी तथाकथित आर्थिक आजादी, महत्वपूर्ण निर्णयों में उनकी अवहेलना आदि को भी घरेलू हिंसा के दायरे में शामिल करने की बात कही तथा इसे रोकने के लिए सिविल सोसायटी विशेष रूप से महिला सिविल सोसायटी के गठन का सुझाव दिया।

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वहीं चौथी आमंत्रित वक्ता डॉ वंदना विजयलक्ष्मी ने “घरेलू हिंसा और युवा विशेष कर लिव इन रिलेशनशिप के संदर्भ में” विषय पर अपने विचार रखे तथा भारतीय संस्कृति और मर्यादा को युवा पीढ़ी में संप्रेषित करने की बात कही । विवाह जैसी सामाजिक संस्था को और मजबूत बनाने की बात पर बल दिया ।

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वहीं पांचवीं और आखिरी वक्ता पत्रकार एवम् कथाकार सुश्री गीता श्री ने “घरेलू हिंसा में भारतीए समाज और परिवार की भूमिका” विषय पर अपने महत्वपूर्ण विचार रखे।उन्होंने वैदिक काल से लेकर 21वी सदी तक चरणबद्ध तरीके से घरेलू हिसा के उदाहरण प्रस्तुत किए तथा आजादी के 60 साल बाद इस कानून के आवश्यकता महसूस की गई इस पर भी उन्होंने पुरुष सत्तात्मक सोंच की सरकार पर कटाक्ष किया।

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कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन डा विदिशा मिश्रा ने किया। मौके पर डॉ चेतना वर्मा, वंदना सिंह, सुनीता कुमारी,शिवांगी प्रभात,रखी मालिक,सोनल मद अफरोज एवम् अपूर्व कुमार उपस्थित थे।कार्यक्रम में लगभग 100 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।

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