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मुजफ्फरपुर का Toilet Clinic मॉडल अपनाएगा पूरा देश, यूनिसेफ की पहल पर कोल इंडिया व गेल आगे आई, इसी माह आएगी 10 IAS व विशेषज्ञों की टीम

जिले के कुढ़नी प्रखंड का टाॅयलेट क्लीनिक माॅडल अब देश अपनाएगा। यूनिसेफ की पहल पर काेल इंडिया, गेल से लेकर कई बड़ी कंपनियां इस माॅडल काे राष्ट्रीय स्तर पर जमीन पर उतारने के लिए आगे आई हैं। इन कंपनियाें ने जिला प्रशासन से संपर्क कर इस माॅडल की पूरी जानकारी ली है। जल्द ही जिले के सभी प्रखंड मुख्यालयाें में टाॅयलेट क्लीनिक खाेले जाएंगे।

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दूसरी क्लीनिक जल्द ही सकरा में खुलेगी। जबकि देश स्तर पर इसके विस्तार के लिए इसी माह कर्नाटक से 10 आईएएस अफसराें एवं विशेषज्ञाें की टीम यहां अाएगी। टीम कुढ़नी प्रखंड स्थित शाैचालय क्लीनिक माॅडल काे देखेगी। सर्वे के बाद कर्नाटक सरकार अपने गांवाें में स्वच्छता मिशन के तहत इसे लागू कराएगी। लाेहिया स्वच्छ मिशन अभियान के तहत खाेले गए इस माॅडल से न सिर्फ कुढ़नी प्रखंड के ग्रामीण इलाकाें में स्वच्छता मिशन की सेहत सुधरी है, बल्कि टाॅयलेट काे ठीक कराने में अब ग्रामीणाें काे बाजार लागत की तुलना में 10 प्रतिशत से भी कम पैसे लग रहे हैं।

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उपकरणों से सुसज्जित वैन के साथ तैनात रहते हैं ट्रेंड कर्मचारी

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क्या है टाॅयलेट क्लीनिक माॅडल
टाॅयलेट क्लीनिक या शाैचालय चिकित्सालय में इससे संबंधित सभी सामग्री रहती है। यहां सफाई से जुड़े कर्मियाें से लेकर ट्रेंड निर्माण कर्मी तैनात रहते हैं। क्लीनिक का अपना उपकरणाें से सुसज्जित वैन भी है। एक टीम गांवाें में जाकर पहले सर्वे करती है। जहां कहीं भी छाेटी-छाेटी समस्याओं के कारण टाॅयलेट अनुपयाेगी रहता है, उसकी रिपाेर्ट तैयार की जाती है। फिर एक साथ सामग्री एवं ट्रेंड कर्मियाें से लैस वैन गांव में पहुंचती है। संबंधित कई घराें के शाैचालय काे एक साथ चालू करने से ग्रामीणाें काे खर्च भी 15 हजार के बदले 1200 से 1500 रुपए ही हाेता है।

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अब जिला प्रशासन एप बनाने पर कर रहा काम
डीडीसी आशुतोष द्विवेदी के मुताबिक माॅडल सेंटर के रूप में इसे खाेला गया ताे नतीजे अच्छे अाए। 3 माह से कम समय में 100 से अधिक टाॅयलेट काे जीवंत किया गया। अब जिला प्रशासन ने एप बनाने पर काम शुरू कर दिया है। इसके माध्यम से जरूरतमंद सीधे किसी वक्त इससे जुड़ सकेंगेे।

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