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बिहार में दिहाड़ी मजदुर का बेटा बना जज, 31वीं बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा में मिली सफलता

शिक्षा में बहुत दम है! यह कहना है एक दिहाड़ी मजदूर का काम करनेवाले पिता कृष्ण नंदन चौधरी का जिनके बेटे सूरज कुमार चौधरी ने 31वीं बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा पास की और अब वे जज बनेंगे। खास बात यह है कि इनके एक बेटे ने आइआइटी भी पास किया है।

बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा में जमुई जिले के सिकंदरा के गुदड़ी के एक लाल सूरज ने कमाल किया है। दिहाड़ी मजदूर का बेटा सूरज ने कड़ी मेहनत और लगन के साथ पढ़ाई कर सफलता का परचम लहराया है।

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सातवीं पास बाप का बेटा आज जज बन गया है। सूरज की इस सफलता पर सिर्फ परिवार वाले ही नहीं; बल्कि इलाके के लोगों में खुशी का माहौल है।

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सूरज बेहद गरीब परिवार का है। पिता दिहाड़ी मजदूर हैं। बचपन में घर के सामने अंडे और चना बेचने वाला सूरज जज बन गया।

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पासी समाज के दलित परिवार के सूरज का कहना है कि न्यायिक सेवा अपने आप में गर्व करने वाला है। उसकी कोशिश होगी कि वह लोगों को न्याय दिला पाए।

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BHU से की कानून की पढ़ाई

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातक और कानून की पढ़ाई करने के बाद से ही वह न्यायिक सेवा की परीक्षा की तैयारी में जुट गया था। उसने पहले ही प्रयास में 31वीं बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा में सफलता पा ली है।

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सूरज के घरवाले और इलाके के लोग खुश हैं. सूरज कुमार के 8 भाई और एक बहन है। बचपन गरीब में गुजरा. इंटर तक पढ़ाई उसने सिकंदरा में ही की।

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सूरज ने बताया कि इंटर तक पढ़ाई करने के दौरान वह घर के आगे एक छोटी सी गुमटी पर अंडे और चना बेचा करता था।

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बड़ा भाई मर्चेंट नेवी, छोटा बना जज

सूरज ने कहा कि आज वह खुश है कि हर किसी को भी गौरवान्वित करने वाली न्यायिक सेवा सेवा जुड़ गया है। उसकी कोशिश रहेगी कि हर किसी को न्याय दिलाने में वह भरपूर सहयोग करे। खासकर गरीब तबके के लोगों के बीच कानून के प्रति जागरूकता लाने के लिए वह काम करेगा।

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पिता कृष्ण नंदन चौधरी ने बताया कि वह दिहाड़ी मजदूर है। हालांकि, दो साल पहले उसका बड़ा बेटा IIT मुंबई से पढ़ाई के बाद मर्चेंट नेवी में है। इसके बाद उसके परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई।

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वह अपने बच्चों को हमेशा पढ़ने लिखने के लिए कहता था। वे कहते हैं कि अपने समाज और गरीब तबके के लोगों से कहूंगा की शिक्षा में बहुत दम है। वे भी अपने बच्चों को पढ़ाएं और आगे बढ़ाएं।

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