बिहारवासियों को जाम (Bihar Traffic Jam Problem) की समस्या से मुक्ति दिलाने के लिए राज्य में आरओबी का निर्माण करवाया जाएगा। बताया जा रहा है कि बिहार के पांच जिलों में इस साल सात आरओबी (Road over bridge construction) बनकर तैयार हो जाएंगे। इनमें वैशाली, सारण, सुपौल, कटिहार और अररिया जिला शामिल हैं।
इनके अलावा अगले साल चार अन्य आरओबी भी बनाए जाएंगे। इन आरओबी के बन जाने के बाद प्रदेश के 11 जिलों के लोगों को जाम से छुटकारा मिलेगा। इन सभी 11 आरओबी की अनुमानित लागत करीब 684.61 करोड़ रुपये है। वहीं आरओबी के बन जाने से आवागमन में भी सहूलियत मिलेगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल बनने वाले आरओबी में वैशाली जिला में दो और छपरा के रिविलगंज में एक शामिल हैं। इन तीनों आरओबी की अनुमानित लागत करीब 195.26 करोड़ रुपये है।
हाजीपुर-छपरा फोरलेन में वैशाली जिला के अंतर्गत एक आरओबी बन चुका ,है और दूसरे का निर्मााण चल रहा है। वहीं छपरा के रिविलगंज में करीब डेढ़ किलोमीटर लंबाई में आरओबी की बाइपास सड़क का निर्माण हो रहा है।
यह रिविलगंज थाना से 50 मीटर आगे से शुरू होकर पहिया रेल ढाला के बगल से पहिया गांव के बाहर निकलेगी। बता दें कि ट्रेनों के आने से रेल फाटक बंद हो जाता है, जिस वजह से वहां वाहनों की लंबी कतार (Heavy Traffic Jam) लग जाती है।
इस वजह से रिविलगंज बाजार में जाम की स्थिति बन जाती है। आरओबी बनने से इन समस्याओं से राहत मिलेगी।
सुपौल के भपतियाही और सुपौल शहर में एक-एक आरओबी करीब 138 करोड़ रुपये की लागत से सितंबर 2022 तक पूरा होने की संभावना है। एक आरओबी का निर्माण खगड़िया जिला के मानसी से सुपौल जिला के हरदी चौधारा के बीच बदला घाट के पास हो रहा है।
वहीं दूसरा आरओबी सुपौल शहर में बनाया जा रहा है। कटिहार के मनिया और गौशाला में एक-एक आरओबी करीब 116 करोड़ की लागत से दिसंबर 2022 तक निर्माण होने की संभावना है। इसके साथ ही अररिया में एक आरओबी करीब 87.86 करोड़ की लागत से दिसंबर 2022 तक पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही है।
पश्चिम चंपारण के बगहा और मंगलपुर में एक-एक आरओबी का निर्माण करीब 68.49 करोड़ रुपये की लागत से जून 2023 तक पूरा होने की संभावना है. सहरसा में एक आरओबी का निर्माण करीब 79 करोड़ की लागत से जुलाई 2023 तक पूरा हो सकता है.
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