बेला इंडस्ट्रियल एरिया के फेज-एक में जार्ज फर्नांडिस के प्रयास से स्थापित इंडियन ड्रग्स एंड फार्मास्यूटिकल लिमिटेड (आइडीपीएल) का अस्तित्व समाप्त हो गया।
बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (बियाडा) ने बंद पड़ी इस फैक्ट्री की 65 एकड़ जमीन वापस ले ली है। इसमें 25 एकड़ भूमि प्लग एंड प्ले यूनिट के लिए दे दी गई। बाकी 40 एकड़ जमीन में उद्योग लगेगा। इस पर बिजली विभाग का 17 करोड़ रुपये बिल बकाया बता रहा है। यहां महत्वपूर्ण यह भी है कि नीलामवाद की कार्रवाई 4 करोड़ 59 लाख 29 हजार, 382 रुपये बकाया पर ही दायर किया गया है।
विदित हो कि चार अप्रैल 1979 में आइडीपीएल को दो हजार केवीए का कनेक्शन मिला था। इसके चलने पर बिजली बिल का पेमेंट होता गया। फैक्ट्री बंद होने के बाद भी काफी दिनों तक बिजली बिल जमा होता रहा, मगर 25 साल पहले एक करोड़ 70 लाख बकाया हो गया। कुछ दिनों तक पेमेंट नहीं आने पर 9 जनवरी 1997 को बिजली काट दी गई। दो साल मौका देने के बाद भी बकाए बिल की राशि नहीं मिली तो विभाग ने 1999 में आइडीपीएल पर सर्टिफिकेट केस दायर कर दिया। मुजफ्फरपुर अधीक्षण अभियंता पंकज राजेश ने बताया कि नीलामवाद दायर होने के बाद वह मामला सब ज्यूडिस हो जाता है। 4 करोड़ 59 लाख लाख 29 हजार 382 रुपये बकाए की राशि पर कार्रवाई की गई। अभी तक बियाडा या किसी केंद्र या राज्य सरकार की ओर से पैसे जमा नहीं किया गया है।
1970 में आइडीपीएल की रखी थी नींव :
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पूर्व केंद्रीय मंत्री जार्ज फर्नांडिस ने 1970 में बेला में आइडीपीएल की नींव रखी गई थी। 1994 में इसका नाम बदलकर बिहार ड्रग्स औद्योगिक केमिकल लिमिटेड कर दिया गया था। शुरुआत के दिनों में विटामिन बी-3 कंपोजीशन, एसिटिक एसिड और दवाओं के लिए रा मैटेरियल तैयार होते थे। कई बड़ी-बड़ी कंपनियां यहां से रा मैटेरियल खरीदती थीं। अप्रैल 1996 में यह पूरी तरह से बंद हो गई।
आइडीपीएल की 17 करोड़ 42 लाख में हुआ स्क्रैप अवार्ड
30 अगस्त को एमएसटीसी विभाग द्वारा इसका ई-आक्शन किया गया। इसमें मुजफ्फरपुर की गुंजन कुमारी ने 17 करोड़ 42 लाख रुपया में आइडीपीएल की सारी मशीनों को खरीदा है। ई-आक्शन में देश की 45 कंपनियों ने हिस्सा लिया। बोली पांच करोड़ से शुरू हुई। इसके पहले देश की बड़ी-बड़ी कंपनियों के इंजीनियरों ने बेला में आकार आइडीपीएल को देखा। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, गाजियाबाद, लखनऊ, पंजाब, हरियाणा सहित अन्य कई शहरों के लोग आए थे। ठीकेदार ने 80 लाख रुपये जमानत की राशि के साथ अन्य मद के पैसे भी जमा कर दिए हैं। छह महीने में उनको यहां से खाली कर देना है। नहीं करने पर उनकी जमानत की राशि जब्त हो जाएगी।